राज्यपाल ने नगाड़ा बजाकर शिल्पग्राम उत्सव 2017 का किया शुभारंभ


राज्यपाल ने नगाड़ा बजाकर शिल्पग्राम उत्सव 2017 का किया शुभारंभ

राज्यपाल श्री कल्याण सिंह ने कहा कि शिल्पग्राम में आते ही गांव की संस्कृति का आभास होता है तथा यहां आये शिल्पकार अपने कलात्मक उत्पादों से हमारी कला और संस्कृति की पहचान बना रहे हैं। उन्होंने लोगों से यह अपील की कि वे जब भी इस मेले आयें तो यहां आये शिल्पकारों से उनकी बनाई कलात्मक वस्तु अवश्य खरीदें इससे न केवल उनकी कला को बढ़ावा मिलेगा बल्कि कला और शिल्प के विकास को बल मिलेगा।

 

राज्यपाल ने नगाड़ा बजाकर शिल्पग्राम उत्सव 2017 का किया शुभारंभ

राज्यपाल श्री कल्याण सिंह ने कहा कि शिल्पग्राम में आते ही गांव की संस्कृति का आभास होता है तथा यहां आये शिल्पकार अपने कलात्मक उत्पादों से हमारी कला और संस्कृति की पहचान बना रहे हैं। उन्होंने लोगों से यह अपील की कि वे जब भी इस मेले आयें तो यहां आये शिल्पकारों से उनकी बनाई कलात्मक वस्तु अवश्य खरीदें इससे न केवल उनकी कला को बढ़ावा मिलेगा बल्कि कला और शिल्प के विकास को बल मिलेगा।

राज्यपाल ने यह बात गुरुवार को उदयपुर के शिल्पग्राम में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित राष्ट्रीय हस्त शिल्प एवं लोक कला उत्सव ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ के उद्घाटन अवसर पर कही। राज्यपाल श्री कल्याण सिंह,गृह मंत्री गुलाब चंद कटारियासुखाडि़या विश्वविद्यालय के कुलपति जे.पी. शर्मामहाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. उमा शंकर शर्मा एवं जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल ने नगाड़ा वादन एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया।

राज्यपाल ने नगाड़ा बजाकर शिल्पग्राम उत्सव 2017 का किया शुभारंभ

इस अवसर पर राज्यपाल श्री सिंह ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि लोक संस्कृति के इस अनूठे शिल्पग्राम उत्सव में आप लोगों से पुनः मिलने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ है। उत्सव के इस उद्घाटन समारोह से देश के सांस्कृतिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। पिछले वर्ष हमने इस समारोह में लोक कला के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार देने का संकल्प किया था।

राजस्थान के लोक कला मर्मज्ञ पद्मभूषण डॉ. कोमल कोठारी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट लोक कला पुरस्कार से सम्मानित नागौर के कुचामणी ख्याल के कलाकार श्री बंशीलाल खिलाड़ी को मैं बधाई देता हूँ। इस लोक कलाकार ने लोक नाट्यों में मेहनत और निष्ठा से अपनी लोकलुभावन अदाकारी प्रस्तुत की है और गांव-गांव में लोगों के दिलों में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। श्री खिलाडी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

ऐसे लोक उत्सवों से देश की सांस्कृतिक एकता और सद्भावना को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। आयोजनों में आप सभी की सक्रिय सहभागिताएक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को विश्व में फैलाने में मददगार होगी। अपने इस उद्बोधन के साथ उन्होंने लोक संस्कृति के इस उत्सव के शुभारम्भ की घोषणा की।

राज्यपाल ने नगाड़ा बजाकर शिल्पग्राम उत्सव 2017 का किया शुभारंभ

इस अवसर पर गृहमंत्री श्री कटारिया ने कहा कि शिल्पग्राम एक ऐसा मंच जहां देशी-विदेशी कलाकारों को प्रोत्साहन के साथ विशिष्ट पहचान भी मिलती है। उन्होंने आयोजन के दौरान किए गए नवाचारों की सराहना की। उन्होंने कहा कि महामहिम राज्यपाल के प्रयासों एवं केन्द्र सरकार के सहयोग से यहां विकास के विभिन्न आयाम स्थापित हुए है और इन नवाचारों से शिल्पग्राम ने पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। श्री कटारिया ने कहा कि शिल्पग्राम उत्सव के दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हस्त-शिल्प कलाकारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और इन प्रयासों से कलासंस्कृति के साथ रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

इससे पूर्व राज्यपाल का शिल्पग्राम के प्रवेश द्वार पर केन्द्र निदेशक फुरकान ख़ानअतिरिक्त निदेशक सुधांशु सिंह तथा कलाकारों ने स्वागत किया। इसके बाद राज्यपाल ने शिल्प हाट का अवलोकन किया यहां से राज्यपाल ने संगम सभागार के पास केन्द्र द्वारा सृजित ‘‘गवरी’’ के मूर्ति शिल्पों को निहारा।

तमाशा पुस्तक का विमोचन

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इस अवसर पर राज्पाल श्री सिंह एवं समस्त अतिथियों ने जयपुर के तमाशा कलाकार एवं लोक नाट्य निर्देशक दिलीप भट्ट द्वारा जयपुर की तमाशा शैली पर आधारित पुस्तक तमाशा का विमोचन किया।

कोमल कोठारी स्मृति में लाइफ टाइम एचीवमेंट लोक कला पुरस्कार बंशीलाल को

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समारोह में राज्यपाल श्री सिंह ने देश में किसी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा लोककला क्षेत्र में प्रारंभ किए गए पुरस्कार के क्रम में वर्ष 2017 के लिए पद्मभूषण डॉ. कोमल कोठारी की स्मृति में लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार नागौर के चूई गांव के बंशीलाल खिलाड़ी को प्रदान किया। पुरस्कार स्वरूप बंशीलाल को 2 लाख 51 हजार का ड्राफ्टरजत पट्टिका एवं शॉल प्रदान की गई। इस अवसर पर पद्भ भूषण डॉ. कोमल कोठारी की पत्नी श्रीमती इंदिरा कोठारी का भी शॉल ओढ़ाकर आतिथ्य किया गया।

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