ग्रीन-क्लीन एजेन्डा बने प्राथमिकता


ग्रीन-क्लीन एजेन्डा बने प्राथमिकता

“उदयपुर का वर्तमान व भविष्य हरे-भरे पहाडो, स्वच्छ झीलो व तलाबों, लबालब कुए - बावडि़यों व सदानीरा नदी-नालों पर निर्भर करता है। उदयपुर व मेवाड़ के मतदाता प्रत्याशियों से अपिल करते है कि दुरगामी प्रगति के लिए पानी पहाडो के संरक्षण को प्राथमिकता बनाए”।

 
ग्रीन-क्लीन एजेन्डा बने प्राथमिकता

“उदयपुर का वर्तमान व भविष्य हरे-भरे पहाडो, स्वच्छ झीलो व तलाबों, लबालब कुए – बावडि़यों व सदानीरा नदी-नालों पर निर्भर करता है। उदयपुर व मेवाड़ के मतदाता प्रत्याशियों से अपिल करते है कि दुरगामी प्रगति के लिए पानी पहाडो के संरक्षण को प्राथमिकता बनाए”।

इलेक्शन कॉच, डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट व झील संरक्षण समिति के तत्वाधान में गुरूवार को हुई बैठक में ग्रीन क्लीन एजेन्डा पर विस्तृत विचार विर्मश हुआ; साथ ही मतदान दिवस व उससे पूर्व आचार संहिता की पालना को नागरिक निगरानी रखने का भी निर्णय किया गया।

विद्याभवन पोलीटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि गिर्वा – घाटी को सुरक्षित व संरक्षित रखने के लिए राजनैतिक क्षैत्र के लोगो व प्रत्याशियों का शिक्षण व उनकी जागृति जरूरी है। यह आचर्यजनक है कि, उदयपुर की झीलो का मुल स्वरूप कायम करना तथा समस्त छोटे तलाबो का पुनरोधार राजनैतिक दलो की प्राथमिकता नहीं बन पाई।

चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल तथा झील हितेषी मंच के हाजी सरदार मोहम्मद ने कहा कि सिवरेज से झीले व भुजल बुरी तरह प्रदुषित है लोग बिमार हो रहे है । लेकिन हमारे प्रत्याशियों को इसकी सुध व चिन्ता नहीं है।

ज्वाला जन जागृति संस्थान के भंवर सिंह राजावत एवं शिक्षाविद प्रो.बी.एल. कुकडा ने कहा कि अवैध निर्माणों को रोकने के लिए प्रत्याशी आवाज नहीं उठा पाते व इसे मुद्दा नहीं बना पाते क्योंकि अधिकांशतः उनके ही कार्यकर्ता उसमें संलग्न है। वहीं वो किसी वोटर को नाराज नहीं करना चाहते; यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है।

आस्था संस्थान के सचिव अश्विनी पालीवाल एवं गांधी स्मृति मन्दिर के उपाध्यक्ष सुशील दशोहरा ने कहा कि वनों का काटना, अरावली में अवैज्ञानी, बेतहाशा खनन एक गम्भीर खतरा है हमारी अपेक्षा है कि प्रत्याशी इसे समझे व जीतने के पश्चात अरावली संरक्षण पर जी-जान से काम करें।

युवा सामाजिक कार्यकर्ता भरत कुमावत, पूर्व कृषि अधिकारी ए.आर.खान एवं समाज कर्मी नूर मोहम्मद ने कहा कि मार्बल स्लरी के सही व उचित निस्तारण पर विगत बीस वर्षो में कोई प्रयास नहीं हुए है। राजनीतिक दल इस गम्भीर मुद्दे पर मुकदर्शक बने रहते हैं; अपेक्षा है कि वे इसे समझकर प्रभावी कार्यवाही करेगें।

डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि जो प्रत्याशी व राजनीतिक कार्यकर्ता प्रर्यावरण के प्रति संवेदनशील है, वो कभी आंचार सहिता का उल्ंलघन नहीं कर सकते। प्रकृति के अनुकुल स्वभाव से ही मर्यादा एवं परिवेश के प्रति सम्मान की भावना आती है। इन चुनावों में आचार संहिता का उल्लंघन करने वालो को पर्यावरण व प्रकृति का दुश्मन माना जाना चाहिए।

शर्मा ने कहा कि हम नागरिक यह निगरानी करेंगें कि आचार सहिता का उल्लंघन नही हो।

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