प्रिन्टिंग इण्डस्ट्री हेतु जीएसटी शिविर का आयोजन
प्रिन्टिंग इण्डस्ट्री से जुड़े उद्यमी को यह स्पष्ट नहीं है कि जीएसटी कर प्रणाली के तहत प्रिन्टिंग का कार्य ‘‘गुड्स’’ अर्थात उत्पाद की श्रेणी में आयेगा अथवा ‘‘सर्विस’’ यानि सेवा क्षेत्र की श्रेणी में शामिल होगा। सरकार द्वारा हाल ही में जारी किये गये परिपत्र के कारण
प्रिन्टिंग इण्डस्ट्री से जुड़े उद्यमी को यह स्पष्ट नहीं है कि जीएसटी कर प्रणाली के तहत प्रिन्टिंग का कार्य ‘‘गुड्स’’ अर्थात उत्पाद की श्रेणी में आयेगा अथवा ‘‘सर्विस’’ यानि सेवा क्षेत्र की श्रेणी में शामिल होगा। सरकार द्वारा हाल ही में जारी किये गये परिपत्र के कारण प्रिन्टिंग व्यवसाय से जुडे उद्यमी असमन्जस की स्थिति में है। उपरोक्त जानकारी श्री हंसराज चौधरी ने यूसीसीआई में जीएसटी सम्बन्धी समस्या निराकरण शिविर के दौरान दी।
उदयपुर चेम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा यूसीसीआई भवन में प्रिन्टिंग इण्डस्ट्री की जीएसटी से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण हेतु एक शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग के सहायक आयुक्त श्री यतिश मनी एवं श्री अनिल लाहौटी द्वारा उद्यमियों की समस्याओं के सम्बन्ध में चर्चा कर मार्गदर्शन प्रदान किया गया।
शिविर के आरंभ में अध्यक्ष श्री हंसराज चैधरी ने मेवाड़ प्रिन्टिंग एण्ड पेपर एसोसिएशन के सदस्य उद्यमियों का यूसीसीआई में स्वागत करते हुए कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में जारी किये गये दो सरक्यूलर्स के कारण कई विसंगतियां उत्पन्न हो गई है। सरकार द्वारा जीएसटी लागू करते समय यह कहा गया था कि यह एक सरल टैक्स प्रणाली है तथा कोई भी पढ़ा-लिखा आदमी अपनी टैक्स रिटर्न स्वयं फाईल कर सकेगा। किन्तु आज लगभग प्रत्येक उद्यमी के लिये एक जीएसटी अकाउन्टेन्ट को नौकरी पर रखना जरूरी हो गया है तथा जीएसटी सम्बन्धी नियमों को समझने के लिये कर सलाहकार की सेवाएं लेनी पड़ रही है।
मेवाड़ प्रिन्टर्स एण्ड पेपर एसोसिएशन के सचिव श्री विजय अरोड़ा ने सरकार द्वारा जारी किये गये जीएसटी सम्बन्धी परिपत्र के आधार पर प्रिन्टिंग एवं स्टेशनरी के व्यापारी, प्रिन्टिंग जाॅब वर्क करने वाले उद्यमी तथा मेटीरियल सहित सम्पूर्ण प्रिन्टिंग का कार्य करने वाले प्रिन्टिंग व्यवसायी पर लागू जीएसटी की अलग-अलग दर से सम्बन्धित समस्या विभाग के अधिकारियों के समक्ष रखी।
केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग के सहायक आयुक्त श्री यतीश मनी ने जानकारी देते हुए बताया कि ट्रेडिंग का कार्य करने वाला व्यापारी जो बाजार में प्रिन्टिंग एवं स्टेशनरी का सामान अर्थात प्रिन्टेड मेटेरियल बेचता है, वह उत्पाद अर्थात “गुड्स“ की श्रेणी में आता है। ग्राहक द्वारा उपलब्ध करवाई गई सामग्री (कन्टेन्ट) को प्रिन्ट कर के देना सर्विस की श्रेणी आयेगा।
श्री यतीश मनी ने बताया कि यदि प्रिन्टींग व्यवसायी द्वारा मेटीरियल सहित बैनर छापकर दिया जाता है तो “मैन्युफैक्चरिंग“ की श्रेणी में एचएसएन कोड 3920 के तहत 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा। यदि मेटीरियल ग्राहक द्वारा उपलब्ध कराया जाता है तथा व्यवसायी द्वारा केवल छपाई का कार्य किया जाता है तो एचएसएन कोड 9989 के तहत इस जाॅब वर्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा।
श्री यतीश मनी ने विस्तार से बताया कि जीएसटी से मुक्त छपाई की वस्तु पर इनपुट टेक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा तथा टैक्सेबल उत्पाद पर ही आईटीसी लिया जा सकेगा। आईटीसी की व्याख्या करते हुए श्री यतीश मनी ने बताया कि उपभोक्ता को टैक्स पर टैक्स नहीं देना पड़े, इस उद्देश्य से आईटीसी प्रदान किया जाता है।
खुली परिचर्चा के दौरान उद्यमियों द्वारा प्रिन्टेड बुक्स की परिभाषा, पहले से डिजाईन किये हुए शादी के कार्ड खरीदकर ग्राहक को छाप कर देने की स्थिति में जीएसटी की दर, लिफाफा एवं कार्ड दोनों साथ में छापने पर जीएसटी की दर तथा केवल लिफाफा अथवा केवल कार्ड छाप कर देने पर जीएसटी की दर, बच्चो की किताबों पर जीएसटी, ब्राॅशर- पेम्पलेट-साईन बोर्ड आदि पर जीएसटी की दर आदि से सम्बन्धित कई प्रश्न पूछे जिनका श्री यतीश मनी द्वारा समाधान प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में उपाध्यक्ष श्री रमेश सिंघवी ने भी जीएसटी कर प्रणाली पर विचार रखे। कार्यक्रम के अन्त में मेवाड़ प्रिन्टर्स एण्ड पेपर एसोसिएशन के सचिव श्री विजय अरोड़ा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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