उल्लास की वेला, बिंदौली में खुशियों का मेला


उल्लास की वेला, बिंदौली में खुशियों का मेला

उल्लास से चमकते चेहरे, खुशियों में मग्न होकर झूमते लोग, शादी के जोड़े में बग्घियों पर सवार दूल्हा-दुल्हन। बैंड-बाजों का धूम-धड़ाका, रिमझिम फुहारों का स्वागत-सत्कार और दिव्यांग जोड़ों की खुशियों में शरीक होने देश के कोने-कोने से आए हजारों लोग। यह दिव्य अवसर था नारायण सेवा संस्थान की ओर से शनिवार को आयोजित 29वें विशाल नि:शुल्क सर्वधर्म दिव्यांग तथा निर्धन सामूहिक विवाह समारोह की बिंदौली का।

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उल्लास की वेला, बिंदौली में खुशियों का मेला

उल्लास से चमकते चेहरे, खुशियों में मग्न होकर झूमते लोग, शादी के जोड़े में बग्घियों पर सवार दूल्हा-दुल्हन। बैंड-बाजों का धूम-धड़ाका, रिमझिम फुहारों का स्वागत-सत्कार और दिव्यांग जोड़ों की खुशियों में शरीक होने देश के कोने-कोने से आए हजारों लोग। यह दिव्य अवसर था नारायण सेवा संस्थान की ओर से शनिवार को आयोजित 29वें विशाल नि:शुल्क सर्वधर्म दिव्यांग तथा निर्धन सामूहिक विवाह समारोह की बिंदौली का। नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक कैलाश मानव ने बताया कि बिंदौली में नाचते-गाते निकले लोगों ने दिव्यांगों पर स्नेह का ऐसा उल्लास बिखेरा कि देखने वाले भी थिरक उठे। मन में उल्लास, चेहरे पर रौनक लिए शहर के टाउन हॉल से रवाना हुई भव्य बिंदौली में 51 जोड़े सजी-धजी बग्घियों पर सवार हुए। उसके पीछे देश के विभिन्न राज्यों व शहरों से आए लोगों ने ‘लघु भारत’ की तस्वीर पेश कर दी। बिंदौली में देशभक्ति तरानों, सदाबहार गीतों, लोक गीतों के साथ ही गुजराती, मराठी तरानों पर लोग जमकर झूमे। बिंदौली सूरजपोल, बापू बाजार, देहलीगेट होते हुए पुन: टाउन हॉल पहुंची। रास्ते में लगे 21 स्वागत द्वारों पर स्वागत किया गया। बिंदौली में कई दिव्यांग भाई-बहन भी शामिल हुए। रास्ते में जीवन की नई राहों पर कदम रखने वाले दूल्हा-दुल्हनों को आशीर्वाद देने वालों भी तांता लगा रहा। साथ ही खुशियों के पलों को कैमरे में कैद करने की भी होड़ मची।

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वधुओं के हाथों में मेहदी लगाती नारायण सेवा संस्थान की निदेशक वंदना अग्रवाल

मेहंदी रची, भामाशाहों का हुआ सम्मान :

इससे पूर्व दोपहर में नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक कैलाश मानव, सह संस्थापिका कमलादेवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल, ट्रस्ट्री देवेंद्र चौबीसा, जगदीश आर्य की मौजूदगी में भामाशाह सम्मान एवं कृत्रिम अंग उपकरण वितरण कार्यक्रम हुआ। विवाह स्थल पर 90 ङ्ग 400 वर्गफीट में बनाए गए विशाल डोम में हजारों लोगों की मौजूदगी में सम्मानित दानदाताओं ने आशीर्वचन के बीच 50 से अधिक दिव्यांगजनों का कृत्रिम अंग व उपकरण वितरित किए गए। समारोह में कुसुम गुप्ता दिल्ली, दलीचंद गुप्ता तावड़ु, चेतन प्रकाश बालोतरा, अलका चौधरी हैदराबाद, आर. एस. वर्मा अलवर, शशि मुंबई एवं सुरेश डी. ओबेराय सहित 1100 भामाशाहों सम्मान किया गया।

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बिंदौली में नाचते नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल और निदेशक वंदना अग्रवाल

चयनित दिव्यांगों को ट्राइसाईकिल, व्हील चेयर, नारायण मोड्यूलर आर्टीफिशियल लिम्ब, बैसाखी, कैलिपर, श्रवण यंत्र, ब्रेल स्टिक व अन्य उपकरण नि:शुल्क प्रदान किए गए। किसी को कृत्रिम हाथ मिला तो किसी को पैर। कृत्रिम अंग पाकर दिव्यांगजन इतने फूले नहीं समाए तो कइयों की आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी। इसी दौरान मंच पर 51 वधुओं को आमंत्रित कर उनका सत्कार किया गया।

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उसके बाद मेहंंदी की रस्म शुरू हुई। मेहंदी गीतों और पांडाल में नाचते-गाते धर्म माता-पिता, परिजनों ने समां बांध दिया। बारी-बारी से सभी दिव्यांग वधुओं के हाथों में मेहंदी रची। इसके बाद सबने पांडाल में गणपति का आशीर्वाद लिया। इस दौरान संस्थान की विकास यात्रा एवं सेवा कार्यों को दर्शाती फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। सेवा भाव से पधारे कई वक्ताओं के बोलते-बोलते गले रुंध आए। उन्होंने कहा कि सेवा का यह भाव अतुल्य, अनमोल व अद्वितीय है। जीवन की नई राहों पर कदम रखने जा रहे जोड़ों ने कहा कि नारायण सेवा संस्थान उनके जीवन में नई सुबह लेकर आया है, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। समारोह में आयोजक समितियों के दल्लाराम पटेल, दीपक मेनारिया, रोहित तिवारी, भगवती मेनारिया, राकेश शर्मा और दिग्विजय सिंह ने विभिन्न व्यवस्थाओं में सहभागी बने।

सामूहिक विवाह समारोह आज :

संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि रविवार 3 सितंबर को लियों का गुड़ा स्थित संस्थान के मुख्यालय में होने वाले भव्य सामूहिक विवाह समारोह में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित देश के कई राज्यों के जोड़े एक-दूसरे का हाथ थामेंगे। कई दूल्हा-दुल्हन जन्मजात या फिर किसी दुर्घटना की वजह से नि:शक्तता का दंश झेल रहे हैं तो कुछ में एक भावी जीवन साथी नि:शक्त है। विवाह स्थल पर 51 विवाह वेदियां तैयार की गईं हैं। मुख्य आचार्य के मार्गदर्शन में विवाह की सभी रस्में विधि विधान के साथ संत समुदाय की मौजूदगी व धर्म माता-पिता के आशीर्वाद के बीच संपन्न होंगी। रविवार सुबह 10 बजे तोरण और वरमाला की रस्में संपन्न होंगी। शुभ मुहूर्त में पाणिग्रहण संस्कार होगा।

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वर-वधुओं को आशीर्वाद प्रदान करने के लिए दिल्ली, मुंबई, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुडग़ांव, जोधपुर, इंदौर, आगरा, नागपुर, हैदराबाद, अलीगढ़, पूना, राजकोट, देहरादून, पटना, बड़ौदा आदि शहरों से संस्थान के सहयोगी एवं अतिथिगण पधारे हैं।

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