‘हरितधारा’ ने बदली जीवनधारा


‘हरितधारा’ ने बदली जीवनधारा

अपने निर्माण काल के बाद सुध नहीं लेने के कारण मिट्टी से पटे उदयपुर अंचल के जलाशयों के लिये हरितधारा योजना न केवल जीवनदायिनी साबित हो रही हे बल्कि इसने इस अंचल के काश्तकारों की जीवनधारा ही बदल दी है।

 

‘हरितधारा’ ने बदली जीवनधारा

अपने निर्माण काल के बाद सुध नहीं लेने के कारण मिट्टी से पटे उदयपुर अंचल के जलाशयों के लिये हरितधारा योजना न केवल जीवनदायिनी साबित हो रही हे बल्कि इसने इस अंचल के काश्तकारों की जीवनधारा ही बदल दी है।

बरसाती पानी के साथ आने वाली मिट्टी और अन्य कूडे़-करकट से इन जलाशयों की भराव क्षमता भी बड़ी हद तक प्रभावित हुई थी वहीं कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि की मार से इनका भौतिक स्वरुप ही परिवर्तित हो गया था। इन स्थितियों में कि ये जलाशय अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत थे, जिला कलेक्टर श्री आशुतोष ए.टी. पेडणेकर की प्रेरणा व संकल्प से महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत ‘हरितधारा योजना’ को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा संकटमोचक बनाकर जिले में प्रभावी तरीके से लागू किया गया।

जलाशयों के अस्तित्व बचाने और इनकी भराव क्षमता का पूरा-पूरा उपयोग काश्तकारों के हित में करने की मंशा से इस कार्य को अभियान रुप में लिया गया और लगभग 19 करोड़ के 94 कार्य अपने चरम पर पहुंच कर जनकल्याण के अनुष्ठान साबित हो रहे हैं।

पलटी 83 जलाशयों की काया:

उदयपुर जिले में 300 हेक्टर सिंचाई क्षमता के जल संसाधन विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित किये गये कुल 93 तालाबों की देखरेख जिला परिषद द्वारा की जा रही थी और पिछले 10 से 15 वर्षों से बजट आवंटन नहीं होने से इन तालाबों की किसी प्रकार से सुध नहीं ली जा सकी थी। महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत जब सरकार द्वारा ‘हरितधारा योजना’ प्रस्तावित की गई तो जिला कलक्टर की पहल पर वित्तीय वर्ष 2014-15 में 83 तालाबों की मरम्मत का कार्य लिया गया।

इसके साथ ही जल संसाधन विभाग के 15 मुख्य बांधों के कार्यों के साथ ही 35 बांधों की 480 किमी नहरों के सुदृढीकरण एवं नवीनीकरण के कार्यों को करवाया गया है। इस कार्य पर लगभग 18.97 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। इसमें बांधों के अंतर्गत स्लुस गेट, मिट्टी का बांध, वेस्टवीयर, बांध के रिसाव को रोकने के लिए सी.ओ.टी., बकैट, एप्रन इत्यादि के कार्यों को तो नहरों के अन्तर्गत क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत के साथ ही कच्ची नहरों से पक्की नहरों का निर्माण मय स्थानीय पुलिया आदि कार्यों को पूर्ण कराया गया। जलाशयों के सीपेज की समस्याओं को दूर किया गया वहीं इनके सुदृढ़ीकरण करवाते हुए प्रयास किया गया कि इनमें इनकी पूर्ण भराव क्षमता का उपयोग हो सके।

‘हरितधारा’ ने बदली जीवनधारा

सूखे खेतों को मिला अमृत:

इस वित्तीय वर्ष में मानसून सामान्य रहा और हरितधारा योजना के तहत करवाए कार्य से 83 तालाबों में से 47 तालाब ओवरफ्लो या पूर्ण रूप से भर चुके है, 42 तालाबों में आंशिक पानी आया व केवल 4 तालाब खाली रहे। कुल मिलाकर लगभग 75-80 प्रतिशत पानी तालाबों में उपलब्ध है। भरे हुए जलाशयों से रबी की फसलों के लिए काश्तकारों को नहरों द्वारा सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।

तालाबों की जल वितरण बैठक के अनुरूप ही पानी दिया जा रहा है। इस कार्य से जिले के कृषि क्षेत्र में 25-30 हजार बीघा भूमि में अतिरिक्त सिंचाई उपलब्ध करवाई जा रही है। दूसरी ओर नहरों और धोरों का निर्माण कार्य भी किया जा रहा है। अधिकतर नहरों का कार्य प्रगति पर वहीं नहरों के सुदृढ़ीकरण का कार्य 31 दिसम्बर 2014 तक पूर्ण होने की संभावना है जिससे भविष्य में काश्तकारों को सिंचाई की बेहतर सुविधाएं प्राप्त होंगी।

जैव विविधता भी हुई समृद्धः

हरितधारा योजना के तहत संपादित हुए कार्यों से क्षेत्र की जैव विविधता भी समृद्ध हुई है। उन समस्त जलाशयों में जिनमें कभी पानी नहीं रह रहा था वे इन दिलों लबालब है। इन लबालब जलाशयों से आसपास के कई किलोमीटर क्षेत्र की मिट्टी में नमी पैदा हो रही है जिससे अप्रत्यक्ष रूप से जमीन को उपजाउ हो रही है वहीं पक्षियों और अन्य जीवों के लिए भोजन की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो पाएगी।

इन जलाशयों मंे उगने वाली वनस्पति जलीय जीवों और पक्षियों के लिए उपयोगी साबित होगी। अप्रत्यक्ष रूप से जलाशयों को मिला जीवनदान जैव विविधता को समृद्ध करने का भी माध्यम बना हुआ है।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags