अरे, आखिर यह क्या गड़बड़झाला है!
"झीलों की नगरी" उदयपुर शहर दुनियाभर के लोगों की आंखों का तारा भले ही है। शहर का देहलीगेट चौराहा पिछले कई वर्षों से भीषण अव्यवस्था का शिकार बना हुआ है। लेकिन, यातायात विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और ड्यूटी पर तैनात रहने वाले यातायात के जवानों को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। ऐसा लगता है मानो, उन्होंने व्यवस्था नहीं सुधारने का कोई प्रण ले रखा है। ऐसे में देश-विदेश से यहां आने वाले पर्यटकों के सामने हमारा शहर शर्मिन्दा हो रहा है।
“झीलों की नगरी” उदयपुर शहर दुनियाभर के लोगों की आंखों का तारा भले ही है। शहर का देहलीगेट चौराहा पिछले कई वर्षों से भीषण अव्यवस्था का शिकार बना हुआ है। लेकिन, यातायात विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और ड्यूटी पर तैनात रहने वाले यातायात के जवानों को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। ऐसा लगता है मानो, उन्होंने व्यवस्था नहीं सुधारने का कोई प्रण ले रखा है। ऐसे में देश-विदेश से यहां आने वाले पर्यटकों के सामने हमारा शहर शर्मिन्दा हो रहा है।
यह है व्यवस्था – जैसी कि हर शहर में हर चौराहा पर व्यवस्था होती है, कि बारी-बारी से एक-एक मार्ग के ट्रेफिक को गन्तव्य की ओर निकलना होता है। यही व्यवस्था देहली गेट पर भी है। टाउन हॉल मार्ग से आने वाले वाहन चालकों को रेड सिग्नल मिलने पर बापू बाजार से आने वाले वाहन चालकों को आगे बढ़ना होता है। इनका ग्रीन सिग्नल समाप्त होने पर हाथीपोल मार्ग से आने वाले वाहन चालकों को चलना होता है। लेकिन, जैसे ही हाथीपोल मार्ग वालों को रेड सिग्नल मिलता है, दो मार्गों का ट्रेफिक एक साथ चल पड़ता है।
और गड़बड़झाला ये है – हाथीपोल मार्ग के लिए हरी बत्ती बन्द होने के बाद ग्रीन सिग्नल कोर्ट चौराहा की ओर से आने वाले वाहन चालकों के लिए चालू होता है। यह हरी बत्ती बापू बाजार की ओर लगी है। लेकिन, यह बत्ती जलते ही कोर्ट चौराहा मार्ग के साथ शास्त्री सर्कल मार्ग से आने वाले वाहन चालक भी चल पड़ते हैं। जबकि, इनका ग्रीन सिग्नल कोर्ट चौराहा वालों को रेड सिग्नल मिलने के बाद चालू होता है। यह सिग्नल हाथीपोल जाने वाले मार्ग की ओर लगा है लेकिन शास्त्री सर्कल मार्ग से आने वाले वाहन चालक इस ओर ध्यान नहीं देते।
होते हैं गुत्थम-गुत्था – जैसे ही कोर्ट चौराहा मार्ग वाले वाहन चालक आगे बढ़ते हैं, शास्त्री सर्कल की ओर से आने वाली गाड़ियां भी चल पड़ती हैं। ऐसे में वाहन आपस में गुत्थम-गुत्था होने जैसी स्थिति में नजर आने लगते हैं। वाहन चालक एक-दूसरे से उलझते हुए निकलते हैं, लेकिन इस अव्यवस्था की ओर कोई ध्यान नहीं देता है।
दुर्घटनाओ के बाद भी कोई सबक नहीं – इससे पूर्व भी कुछ दिनों शहर के कोर्ट चौराहे पर ही हुई दुर्घटना में एक युवक की मौत हो गई थी, और आये किसी न किसी प्रकार की दुर्घटनाओ का होना आम बात है। शहर के चौराहे पर पर भी यातायात पुलिस कई जवान खड़े भी रहते है और वे दिन भर में कई चालान भी बनाते है, कभी हेलमेट के नाम पर, तो कभी गाड़ी के कागजों के नाम पर, पर फिर भी परिणाम जीरो के बराबर ही ।
शहर में कई है ऐसे चौराहे – लेकसिटी में देहलीगेट चौराहा ही ऐसा नहीं है, बल्कि शहर में ऐसे कई मुख्य चौराहे है, जहा पर रोज एक आधी दुर्घटना का होना आम बात है। जिनमे मुख्य रूप से प्रतापनगर चौराहा, एकलिंगपूरा चौराहा, देबारी चौराहा, सुखेर चौराहा, सहित चौराहे जहा पर ये सब आम बात है। वही शहर के सूरजपोल, ठोकर चौराहे भी देहलीगेट की तरह ही है।
नगर निगम ने भी नहीं किया सहयोग – कुछ माह पूर्व गुजरात की एक कंपनी ने उदयपुर शहर के देहलीगेट चौराहे पर लगाने के लिए
बिना परमिशन की बात कहते हुए वह पर लगाये गये रिवॉल्विंग ट्रैफिक बुथ को हटा दिया गया था। बाताया गया था कि इसकी वजह नगर निगम से नियमानुसार मंजूरी नहीं ली गई थी। ट्रायल पर लगे इस बूथ का उद्घाटन से पहले ही महापौर रजनी डांगी मौके पर पहुंची थी और संस्था के प्रतिनिधियों से मंजूरी को लेकर सवाल किये। जवाब में प्रतिनिधियो ने पुलिस की मिली स्वीकृति का हवाला दिया था, पर मेयररजनी डांगी ने कहा की प्राइवेट संस्था द्वारा नगर निगम से उचित परमिशन नहीं ली गई।
इसी के चलते संस्था के प्रतिनिधियो ने तुरन्त बूथ को हटवा कर पुलिस कट्रोंल रूम मे रखवा दिया। यह था प्रोजेक्ट एवर ग्रीन मीडिया ने देहलीगेट,पारस तिराहा,एमबी चिकित्सालय रोड, दुर्गा नर्सर रोड पर बूथ लगाना तय किया था। इस संस्था पहले सर्वे किया था जिसमे ज्यादा दबाव वाले स्थानो को चुना गया था। इस बूथ मे घुमने वाली सीट के साथ पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम भी है, जिसमे ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी यातायात व्यवस्थित कर सकता है।
इसके साथ ही एम्पलीफायर के जरिए यातायात नियमो की प्री रिकार्डिग चलाकर लोगो को नियमो के प्रति जागरूक करने का प्रोजेक्ट था। मामले पर महापौर का कहना इस मामले को लेकर मेयर रजनी डांगी ने बताया कि संस्था ने नगर निगम से बूथ लगाने की परमिशन नहीं ली थी। यदि शहर में कुछ भी लगाना हो, तो नगर निगम से परमिशन लेनी चाहिए। मामले पर ट्रैफिक डीएसपी महेन्द्र सिंह का कहना है कि हम इस मामले पर महापौर से बात करेंगे। इस ट्रैफिक बूथ से यातायात नियमो की पालना और जागरूकता ज्यादा होगी।
आखिर लोग भी नहीं लेते सबक – शहर के बढते यातायात के दबाव को लेकर प्रशासन के द्वारा इसको लेकर शहरवासियों से यातायात नियमों के पालन को लेकर कई बार अपील की जाती है, लेकिन इस पर आम जन ध्यान नहीं देते है। जबकि ज्यादातर दुर्घटना नियमों का पालन नहीं करने से होती है। मीडिया में आई खबरों और प्रशासन के अपील के बाद भी आमजन सिख क्यों नहीं लेते।
ओवरब्रिज की कमी – शहर में आज ऐसे कई चौराहे है। जहा पर ओवरब्रिज की कमी खलती है, प्रशासन के दावर कई बार प्रतापनगर, देबारी, ठोकर पर ओवरब्रीज जाने को लेकर कई बार सर्वे भी किये गए, जिनका अब तक कोई ठोस परिणामक सामने नहीं आये है। सर्वे के दौरान यातायात के बढते दबाव को देखते हुए इस स्थानो पर ओवरब्रिज की आश्यकता बताई गयी थी और कहा गया था कि, ओवरब्रिज के निर्माण से सिंगल रोडों पर होने यातायात दबाव और दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
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