हाईकोर्ट ने दिया विद्यापीठ के पक्ष में फैसला
जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ कुल के 02.09.2014 के संशोधित संविधान को उप रजिस्ट्रार सहकारी संस्था के श्री अश्विन वशिष्ठ द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर नियम विरूद्ध तरीके से निरस्त करने पर जोधपुर हाई कोर्ट द्वारा गुरूवार 10 दिसम्बर 2015 को विद्यापीठ को एक बडा अनुतोष (राहत) प्रदान करते हुए विद्यापीठ के पक्ष में स्टे दिया।
जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ कुल के 02.09.2014 के संशोधित संविधान को उप रजिस्ट्रार सहकारी संस्था के श्री अश्विन वशिष्ठ द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर नियम विरूद्ध तरीके से निरस्त करने पर जोधपुर हाई कोर्ट द्वारा गुरूवार 10 दिसम्बर 2015 को विद्यापीठ को एक बडा अनुतोष (राहत) प्रदान करते हुए विद्यापीठ के पक्ष में स्टे दिया।
कुल प्रमुख श्री भवंरलाल गुर्जर ने बताया कि कुल द्वारा दायर याचिका पर पर कोर्ट द्वारा आदेश में कहा गया कि उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों को इस प्रकार के आदेश पारीत करने का कतई अधिकार नहीं है पूर्व में भी उच्च न्यायालय ने इस बाबत् निर्णय दिया हुआ है जिसकी रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां द्वारा इस निर्णय द्वारा अवमानना की है। यह निश्चित रूप से संविधान एवं अधिकारों की अवहेलना करते हुए कृत्य किया है जो स्वीकार नहीं है।
गौरतलब है कि पूर्व प्रशासन एवं कुछ बाहरी लोगों के दबाव में आकर उप रजिस्ट्रार श्री अश्विन वशिष्ठ ने 15 माह पूर्व जिस संविधान संशोधन को मान्यता दी गई उसे निरस्त कर दिया, उक्त कार्यवाही करने से पूर्व उप रजिस्ट्रार ने विश्वविद्यालय को अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया था। कोर्ट ने माना कि संविधान निरस्त करने का अधिकार उप पंजीयक के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अगर संविधान में कोई गडबडी पाई जाती है तो उप पंजीयक को मात्र आर्थिक दण्ड लगाने का अधिकार है।
ज्ञापन और मौन प्रदर्शन आज – संस्था के समस्त कार्यकर्ता एवं छात्रों द्वारा शुक्रवार को प्रातः 11.00 बजे जिला कलेक्टर को इस सम्बन्ध में मौन जुलुस निकालकर ज्ञापन दिया जाएगा।
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