सरकार का कहना है कि महामारी एक्ट व आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत सरकार को कोरोना काल में फीस तय करने का अधिकार
कोरोनाकाल में 2020-21 की निजी स्कूल के फीस विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं राज्य सरकार, निजी स्कूल संचालक और अभिभावक की बहस खत्म हो गई है। चीफ जस्टिस इंद्रजीत महांती की खंडपीठ ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा गत 28 अक्टूबर को लागू की गई सिफारिशों के अनुसार ही निजी स्कूल फीस ले सकेंगे। यानी जिन निजी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाया है वे ट्यूशन फीस का 70% ही फीस के तौर पर ले सकेंगे।
आपको बता दे कि होईकोर्ट ने यह फैसला राज्य सरकार और अन्य की अपील पर सुनाया है। अभिभावको का कहना था कि कोरोना काल के दौरान ना तो पूरी क्लास चली हैं और न ही स्कूलों ने पूरा कोर्स कराया है।
निजी स्कूल ने मनमर्जी से पढ़ाई करवाई है और टीचर्स को भी पूरा वेतन नहीं दिया है। ऐसे में स्कूल संचालको के वकील का कहा है कि सरकार ने फीस एक्ट 2016 के तहत फीस तय करने की जिम्मेदारी फीस कमेटी को दी है, खुद फीस तय नहीं कर सकती। महामारी व आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत सरकार फीस तय नहीं करे। ऐसे में सभी को सुनने में कोर्ट को वक्त लगा लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को माना और हाईकोर्ट ने कहा कि जो स्कूल ऑनलाइन शिक्षा दे रहे है वे ट्यूशन फीस का 70% ले सकते हैं। वहीं स्कूलें खुलने के बाद जितना भी कोर्स संबंधित बोर्ड (माध्यमिक शिक्षा और सीबीएसई) द्वारा तय किया जाए उतनी फीस वह स्कूल ले सकेंगे।
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