सप्तरंगी महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम में उमड़ा श्रधालुओं का ज्वार


सप्तरंगी महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम में उमड़ा श्रधालुओं का ज्वार

समता शिरोमणि आचार्य 108 सुकुमालनन्दी महाराज के सानिध्य में श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर एंव सकल दिगम्बर जैन समाज के संयुक्त तत्वावधान में आज अशोक नगर स्थित श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में शहर के जैन समाज के इ

 

सप्तरंगी महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम में उमड़ा श्रधालुओं का ज्वार

समता शिरोमणि आचार्य 108 सुकुमालनन्दी महाराज के सानिध्य में श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर एंव सकल दिगम्बर जैन समाज के संयुक्त तत्वावधान में आज अशोक नगर स्थित श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में शहर के जैन समाज के इतिहास में पहली बार सप्तरंगी अभिषेक स्वर्ण-रजत कलशों द्वारा मान-स्तम्भ स्थित जिनबिंबो का महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें ऋद्धालुओं का ज्वार उमड़ पड़ा।

कार्यक्रम में 325 स्वर्ण,रजत,एंव ताम्र कलशों से 6 प्रतिमाओं पर ऋद्धालुओं ने सप्तरंगी जल से अभिषेक किया। अभिषेक के पश्चात अभिषेक करने वाले ऋद्धालु कलशों को अपने घर ले गये।

आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज के सानिध्य में साढ़े तीन घंटे चले इस कार्यक्रम में श्रधालुओं ने बड़े उत्साह के साथ भाग लेकर सभी 8 जिनबिंब प्रतिमाओं पर अभिषेक की बोलियां लगाई। जिसमें स्वर्ण कलश से अभिषेक की प्रथम बोली कन्हैयालाल मेहता एंव परिवार ने लगायी।

सप्तरंगी महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम में उमड़ा श्रधालुओं का ज्वार

इसके अलावा सभी प्रतिमाओं पर सप्तरंगी अभिषेक करने का लाभ रोशनलाल चित्तौड़ा,प्रभुलाल मानावत,अजय जैन,शीतल जावरिया, तरूण चित्तौड़ा,मनोहर पटवा,मुकेश छगनलाल चित्तौड़ा व नाथुलाल चित्तौड़ा ने लिया।

इस अवसर पर प्रात:कालीन प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए अचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार समुद्र के पानी को नापा नहीं जा सकता,थाली में भरी राई को गिना नहीं जा सकता, आसमान के सितारों को गिना नहीं जा सकता ठीक उसी प्रकार भगवान की पवित्र प्रतिमा पर किये गये अभिषेक के महत्व को शब्दों में बताया नहीं जा सकता, सिर्फ महसूस किया जा सकता है।

पवित्र प्रतिमा पर किया गया अभिषेक का जल शरीर से स्पर्शित करने से शरीर में व्याप्त व्याधियां समाप्त करने की सामर्थ्य रखता है।

उन्होनें बताया कि मूर्तियों को साफ करने से उस पर जल नहीं डाला जाता वरन् भगवान का सानिध्य प्राप्त करने के लिए अभिषेक किया जाता है। अभिषेक का जल गंधोदक की संज्ञा प्राप्त करता है जो कि घर, परिवार में सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

भावना पूर्वक की गई भक्ति भव-भव में संचित पापों को नष्ट कर देती है। इस भौतिक युग में भी नमस्कार से चमत्कार होते देखा जा सकता है।

कार्यक्रम पश्चात सभी ऋद्धालुओं को मिठार्ई एंव नमकीन वितरीत की गई। सांयकाल भक्ति संध्या एंव प्रश्रोत्तरी का आयोजन हुआ। श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर के अध्यक्ष रोशनलाल चित्तौड़ा ने बताया कि कल प्रात: 9 बजे से लघु सप्तरंगीअभिषेक व शेष बचे ऋद्धालु स्वर्ण, रजत कलश से कल अभिषेक कर सकेंगे।

कल पंचामृत अभिषेक एंव शांतिविधान के साथ कार्यक्रम का समापन होगा। प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया ने मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक कराया। कार्यक्रम में तरूण चित्तौड़ा व मितुल कोठारी का भी सहयोग रहा।

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