भगवती आराधना पुस्तक के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण


भगवती आराधना पुस्तक के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण

उदयपुर। विज्ञान समिति के दर्शन विज्ञान प्रकोष्ठ की बैठक आज विज्ञान समिति परिसर में आयोजित हुई। बैठक में डाॅ.कर्नल दलपत सिंह बया की हाल ही में प्रकाशित 600 पृष्ठ की पुस्तक ‘भगवती आराधना’ के अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण किया गया।

 

भगवती आराधना पुस्तक के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण उदयपुर। विज्ञान समिति के दर्शन विज्ञान प्रकोष्ठ की बैठक आज विज्ञान समिति परिसर में आयोजित हुई। बैठक में डाॅ.कर्नल दलपत सिंह बया की हाल ही में प्रकाशित 600 पृष्ठ की पुस्तक ‘भगवती आराधना’ के अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण किया गया।

भगवती आराधना जैन परंपरा का एक प्रमुख ग्रंथ है और इसके अंग्रेजी अनुवाद से अंग्रेजी जानने वाले पश्चिम के विद्वानों को जैन धर्म के अध्ययन में बहुत सहायता होगी। डाॅ. बया ने पुस्तक के बारे में बताया कि इस ग्रन्थ में जैन परंपरा में प्रचलित संलेखना और संथारा प्रथा का प्रामाणिक विवरण प्राप्त होता है। उनके अनुसार ग्रंथ का रचनाकाल 6 ठीं से 10 वीं शताब्दी के बीच है।

इस अवसर पर विज्ञान समिति, भारतीय प्राकृत स्कोलर्स सोसायटी तथा सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्राकृत और जैन विद्या विभाग द्वारा डाॅ. बया का सम्मान किया गया। समारोह में डाॅ. के.एल.कोठारी, डाॅ. देवकोठारी, डाॅ. जिनेन्द्रजैन, डाॅ. पारसमल अग्रवाल व उदयपुर के कई अन्य विद्वानगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ. नारायण लाला कच्छारा ने किया।

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प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन ने परिचय देते हुए बताया कि डाॅ. बया ने भारतीय सेना में कर्नल पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात् मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से प्राकृत और जैन विद्या में एम.ए और फिर पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। आपकी अब तक जैन धर्म पर 22 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।

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