विश्व रेडियो दिवस पर सूक्ष्म पुस्तिका में रेडियो का इतिहास
विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर लेकसिटी के सूक्ष्म जिल्दसाज रेडियो के जागरूक एवं नियमित श्रोता चन्द्रप्रकाश चित्तौड़ा ने रेडियो विषय पर 94 पृष्ठीय रंगीन सुक्ष्म पुस्तिका 2 इंच गुणा 3 इंच साइज में प्रकाशित कर रेडियो के सम्पूर्ण इतिहास के बारे में वर्णन किया है। इस पुस्तक में रेडिय के करीब 50 तरह के विभिन्न मॉडल के रंगीन फोटो भी प्रकाशित किये है।
विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर लेकसिटी के सूक्ष्म जिल्दसाज रेडियो के जागरूक एवं नियमित श्रोता चन्द्रप्रकाश चित्तौड़ा ने रेडियो विषय पर 94 पृष्ठीय रंगीन सुक्ष्म पुस्तिका 2 इंच गुणा 3 इंच साइज में प्रकाशित कर रेडियो के सम्पूर्ण इतिहास के बारे में वर्णन किया है। इस पुस्तक में रेडिय के करीब 50 तरह के विभिन्न मॉडल के रंगीन फोटो भी प्रकाशित किये है।
चित्तौड़ा ने बताया कि सन् 1894 में इटली के वैज्ञानिक मारकोनी द्वारा आरम्भ किए गए पहला पूर्व टेलीग्राफी रेडियो सिस्टम जो कि सेना एवं नौसेना में इस्तेमाल किया गया, वर्ततान परिवेश में भी जरूरत है। चित्तौड़ा ने बताया कि आज की डिजिटल दुनिया में जहां लोग मनोरंजन के लिए फेसबुक, वाट्सअप, ईमेल पर पर व्यस्त रहते है, जिससे उनका बहुत सारा समय इसी में व्यर्थ हो जाता है। चित्तौड़ा ने रेडियो ही महत्ता बताते हुए कहा कि रेेडियो सुनने से आदमी का समय खराब नहीं होता है क्योंकि आदमी रेडियो सुनते हुए अपना काम भी जारी रख सकता है और रेडियो के माध्यम से उसका मनोरंजन भी होता रहता है। रेडियो पर देश दुनिया के खबरे भी निरंतर मिलती रहती है।
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