हितेंद्र गरासिया केस: जब तक रूस से शव वापस नहीं आ जाता तब तक जारी रहेगा संघर्ष

हितेंद्र गरासिया केस: जब तक रूस से शव वापस नहीं आ जाता तब तक जारी रहेगा संघर्ष

7 महीने से रूस में जान गवाने वाले उदयपुर के खेरवाड़ा के हितेंद्र गरासिया के शव के भारत आने की आस जगी है
 
family of hintedra garasiya

बड़े बड़े दावे और सुनवाई की बात आ जाए तो सरकार मूकबधिर बन जाती है। न तो राज्य सरकार सुनवाई कर रही न ही केंद्र सरकार। आखिर मृतक के परिजन को आज 180 दिन हो चुके है लेकिन परिवारजन को हाई कोर्ट से सिर्फ जवाबी कार्यवाही में सुनवाई की दिनांक और सरकार की तरफ से सांत्वना के तौर पर आश्वाशन।  

परिवारजन जंतर मंतर पर आमरण आंदोलन भी कर रहे है, आत्म दाह करने की भी चेतवानी दे चुके है। लेकिन इस मामले में कोई खास उम्मीद नहीं दिखाई दे रही जिससे ये पता चल सके की आखिरी को कौनसी तारीख है जब हितेंद्र को अपनी सरज़मीं पर अंत्येष्टि मिलेगी। इस मामले में परिवार जन ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कर दी है। 

मृतक के भाई नटवरलाल ने सूचना के मिलने पर कई दिनों तक तो दूतावास से शव भेजने के लिए संपर्क भी किया। जहाँ से सिर्फ बात का टालना ही सामने आया आसान शब्दों में बात कही जाए तो बात को अनसुनी की गयी। 

चर्मेश शर्मा जो की कांग्रेस प्रवासी सहायता प्रभारी है। हितेंद्र का शव भारत में लाने के लिए परिवारजन की मदद के लिए दिन रात जुटे हुई हुए। इनका कहना है की मानव अधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवाई, विदेश मंत्रालय भारत के ऑनलाइन पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई गयी है जिस पर भारत के दूतावास डीबी वेंकटेश वर्मा को मामला सौंपा गया। फिर मामले में कोई संतुष्टि भरा जवाब नहीं। लेकिन जब राष्ट्रिय मानव अधिकार आयोग ने केस दर्ज कर्ज किया और विदेश सचिवालय को नोटिस जारी कर कार्यवाही करने का आदेश दिया तब उन्होंने मृत्यु का कारण मुझे भेज कर बताया की उनकी 7 नवम्बर को उनकी मृत्यु हुई थी जिसका कारण ऊंचाई से गिरना बताया गया। इसके साथ ही लिखित में ये भी बताया की मृतक के शव को भारत में नहीं भेजा जाएगा यही भारत के राजदुत ने लिखित में दिया न ही दाह संस्कार की अनुमति रूस में नहीं दी जाएगी, मृतक के शव को रूस में दफनाया जाएगा जबकि अंतररष्ट्रीय कानून है की किसी भी देश के नागरिक की कहीं भी मृत्यु हो, अंतिम संस्कार के लिए उसको विधिवत देश पहुँचाया जाए यहाँ तक की युद्ध के दौरान सैनिक के मरने के बाद उसके प्रति पूरा सम्मान दर्शाया जाता है और उनके शव को भी जिस देश का नागरिक होता है उसको अंतिम संस्कार के लिए सौंपा जाता है यहाँ एक बड़ा सवाल उठता है की जहाँ एक तरफ भारत देश के प्रधानमंत्री अपने मधुर सम्बन्ध रूस के प्रति जताते है वही उस देश में अपने देश के नागरिक की मृत्यु होने पर शव को अपने सर जमीन की मिटटी जमीन नसीब नहीं हो रही है। इस मामले में किसका दोष ? क्या भारत दूतावास की लापरवाही से परिवार जन को इतना इंतजार करना पढ़ रहा है।   

राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने उदयपुर निवासी दिवंगत हितेन्द्र गरासिया के शव को रूस में दफनाने के निर्णय पर भारत सरकार को अपनी स्वीकृति देने पर रोक लगा दी इसके साथ ही भारत सरकार के विदेश सचिव को निर्देश दिये हैं वे विदेश मंत्री को अवगत करवाकर कूटनीतिक स्तर पर इस मामले के समाधान के लिये रास्ता तलाशें।  हाईकोर्ट द्वारा विदेश सचिव के साथ विदेश मंत्री को भी अपने आदेश में शामिल करने से भारत सरकार पर इस मामले को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है। 

उदयपुर निवासी हितेंद्र गरासिया की पत्नी आशा और उसके बेटे व बेटी की ओर से हाईकोर्ट में एडवोकेट सुनील पुरोहित के माध्यम से इस संबंध में याचिका दायर की गई थी। सोमवार को न्यायाधीश दिनेश मेहता ने भारत सरकार को निर्देश दिये कि अगली तिथि तक भारत सरकार की ओर से हितेंद्र गरासिया के शव को रूस में दफनाने को लेकर कोई स्वीकृति नहीं दी जाये। 

लेकिन अब 7 महीने से रूस में जान गवाने वाले उदयपुर के खेरवाड़ा के हितेंद्र गरासिया के शव के भारत आने की आस जगी है। रूस अगले दो-तीन दिन में हितेंद्र के शव को भारत को सौंप देगा। हितेंद्र का शव 3 दिसंबर को रूस के मास्को में दफना दिया गया था। मगर अब उसे कब्र से वापस निकालने की सहमति मिल गई है। ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट ने शव दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने के बाद वहां से पैतृक निवास तक पहुंचाने की व्यवस्था राजस्थान सरकार को करने को कहा है। 

हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से यह बताया गया कि रूस में हितेंद्र का शव दफना दिया गया था। मगर भारत में उसके परिवार की मांग के चलते अब क्रब से शव निकालकर भारत भेजा जाएगा। हाईकोर्ट की ओर से यह सूचना मिलने के बाद हितेंद्र के शव को पैतृक गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था की जानकारी लेने गुरुवार को मृतक पुत्र पीयूष गरासिया और कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा नई दिल्ली स्थित बीकानेर हाउस पहुंचे। जहां उन्होंने हितेन्द्र के शव को दिल्ली एयरपोर्ट लाने के बाद उसके पैतृक गांव गोड़वा पहुंचाने की व्यवस्था को लेकर जानकारी ली। वहीं गुरुवार को मृतक के परिजन का धरना प्रदर्शन गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी रहा।

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