जहां एलोपेथी रूके वहां होम्योपेथी – डॉ. मनचंदा
केन्द्रीय होम्योपेथिक परिषद के डायरेक्टर जनरल डॉ0 आर.के. मनचन्दा ने कहा कि होम्योपेथी चिकित्सा पद्धति जटिल रोगों के इलाज में कारगर है जो रोग ठीक नहीं हो सकते है उनमें भी ऐसी दवाईयों से मरीज बेहतर जिन्दगी जी सकता है।
जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक होम्योपेथेपी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के समापन सत्र के मुख्य अतिथि केन्द्रीय होम्योपेथिक परिषद के डायरेक्टर जनरल डॉ0 आर.के. मनचन्दा ने कहा कि होम्योपेथी चिकित्सा पद्धति जटिल रोगों के इलाज में कारगर है जो रोग ठीक नहीं हो सकते है उनमें भी ऐसी दवाईयों से मरीज बेहतर जिन्दगी जी सकता है।
देखा गया है कि ऐसी कई बिमारियों में जहां एलोपेथी चिकित्सा पद्धति काम करना बंद कर देती है वहां होम्योपेथी दवाअेां से फायदा होता है। उन्होने कहा कि जितनी भी लाईन स्टाईल बिमारियां है जैसे की मधुमय, उक्त रक्त चाप, हद्धय रोग, अनिन्द्रा, गठिया, मोटापा, तथ बच्चों में होने वाली व यहां तक की केंसर में भी होम्योपेथी दवाए कारगर है। आपातकाल में होम्योपेथी दवाअेां से मरीजों को बचाया जा सकता है।
आयोजन सचिव डॉ. राजन सूद ने बताया कि अध्यक्षता करते हुए कुल अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र जौहर ने कहा कि होम्योपेथी की लोकप्रियता आज तेजी से बढ रही है प्रचलित एलोथेपी चिकित्सा पद्धति के बाद सबसे पहले पसंद की जाने वाली चिकित्सा पद्धति है।
अति विशिष्ठ अतिथि रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी. अग्रवाल ने कहा कि होम्योपेथिक चिकित्सा में और अनुसंधान की जरूरत है तथा छात्र छोटी-छोटी नई तकनीके सीखकर इस दिशा में अपना महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते है। उन्होंने कहा कि होम्योपेथी के द्वारा असाध्य तथा लाईलाज बीमारियों का भी बढ़ी सरलता से ईलाज किया जाता है। इसलिए होम्योपेथी चिकित्सा का दिनों दिन महत्व बढ़ता ही जा रहा है। विशिष्ठ अतिथि अशोक आचार्य एवं होम्योपेथी एल्युमीनाई के अध्यक्ष डॉ. कमलेन्द्र सिंह बेमला ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
प्राचार्य डॉ. अमिया गोस्वामी ने बताया कि तकनीकी सत्रों में डॉ. एस.के. वर्मा, डॉ. एन.वी. सुगधन, डॉ. बबीता रसीद, डॉ.लिलि जैन, डॉ. नवीन विश्नोई, डॉ. राजन सूद, डॉ. अनिल तोमर, डॉ. निवेदिता, डॉ. एजाज हुसैन, डॉ. अजिता रानी सहित शोधार्थियों ने पत्र वाचन किया।
डॉ. एजाज हुसैन ने कहा कि विश्व में जितने भी युद्ध हो रहे है व आशांति फैल रही है, आज होम्योपेथी में ऐसी दवाईया है जो इस अति को कम करके उस व्यक्ति को सामान्य बना देती है। इन दवाईयेां का उपयोग क्रोधी एवं कटट्रपंथी लोगों में इस्तेमाल किया जाये तो वे भी सामान्य जीवन जी सकेंगे। ये दवाईया है प्लेटिना, आर्गेनिक, आर्निका, फारफोरस। इन दवाओं के उपयोग से व्यक्ति सामान्य जीवन जीने की चाह रखने लगता है।
सेमीनार का संचालन डॉ. निवेदिता, डॉ.0 नवीन विश्नोई ने किया । धन्यवाद डॉ.0 बबीता रसाीद ने दिया । प्रारम्भ में आयोजन सचिव ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा दो दिवसीय सेमीनार की रिपोर्ट प्रस्तुत की। आयोजन सचिव डॉ. राजन सूद ने बताया कि सेमीनार के प्रथम दिन 6 समानान्तर सत्रों में बाहर से आये शोधार्थी एवं विषय विशेषज्ञों ने 135 पत्रों का वाचन किया ।
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