अभी और कितने गुलाब….??
असंख्य हाथों में जाते ये निशब्द फूल बयां कर ही क्या सकते हैं? इन्हें तो बस खुद को ख़त्म होते देखना है उन्हीं एहसासों की तरह जो लगभग ख़त्म हो चुके हैं....वो मासूम मोहब्बत के एहसास, वो गहरी कशिश वाले, वो लहराते केशों से खेलते, वो दिलों को गहराई से जोड़ते एहसास...वो एक नजर भर देखने का एहसास ...सब ख़त्म ..बस फूल ही कहते हैं कहानी...जितने कुचले गए गुलाब हैं उतनी ही निर्ममता से कुचले अरमान हैं ...रेलम-पेल में...सिलसिला जो कभी शायद ख़त्म न हो...अब और कितने गुलाब......??? है कोई जवाब ??????
प्यार से कोई एक फूल दे तो दिल में गुदगुदी होती है। उस एक फूल की कीमत रमेश बाबू भी नहीं जानते होंगे। डाल से वो एक फूल टूटता था तो इतना दर्द नहीं होता था, जितना अब होता है। उस एक फूल में कई एहसास छुपे होते थे। अब तो एक एहसास को कई लोगों को फूलों के ज़रिये बाँटा जाता है, या यूं कहें कि बेचारे फूल झूठे एहसास बांटते फिर रहे हैं। इनमें से कई मसले जाते हैं, बस… बेवजह, कोई मायने नहीं अब इन फूलों वाले एहसास के। याद दिलाती है दुनिया कि आ गया दिन, संभल जा,चांस ले ले,कोई तो तेरे साथ होगा …सौदा बन गया है…किसी को भी प्यार के सही मायने नहीं पता…ये बच्चे सिर्फ कॉम्पिटिशन करने में लगे हैं और शायद और भी बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें इज़हार करने के लिए दुनिया की मोहर चाहिए, बाकी तो हिम्मत ही नहीं होती किसी की।
भेड़-चाल है कि वैलेंटाइन डे के दिन ही इज़हार करना है, बेचारे गुलाब को कितने धोखों के दौर देखने होंगे, कितने दिल टूटते हुए देखने होंगे, कितने गुलाब फेंके जाएंगे, कितने कुचले जाएंगे, बिना खुशबू वाले ये गुलाब …खोखले एहसास लिए डाल पर से बेरहमी से तोड़े गए नाज़ुक फूल…इस गुलाब का भी दिल है जिसे किसी ने नहीं पूछा कि उसे जाना कहाँ है…डाल पर रहकर खिलने वाला गुलाब किसी अनजान जज़्बात के खोखले एहसास के साथ एक हाथ से दूसरे हाथ जाता रहा है, बेबस, लाचार, जिसका अपना वजूद खो जाता है हर बार किसी गुलदस्ते में कैद होकर प्लास्टिक की थैली के पीछे जिसपर पानी के छींटे डालकर ताज़ा होने का स्वांग रचा जाता है।
असंख्य हाथों में जाते ये निशब्द फूल बयां कर ही क्या सकते हैं? इन्हें तो बस खुद को ख़त्म होते देखना है उन्हीं एहसासों की तरह जो लगभग ख़त्म हो चुके हैं….वो मासूम मोहब्बत के एहसास, वो गहरी कशिश वाले, वो लहराते केशों से खेलते, वो दिलों को गहराई से जोड़ते एहसास…वो एक नजर भर देखने का एहसास …सब ख़त्म ..बस फूल ही कहते हैं कहानी…जितने कुचले गए गुलाब हैं उतनी ही निर्ममता से कुचले अरमान हैं …रेलम-पेल में…सिलसिला जो कभी शायद ख़त्म न हो…अब और कितने गुलाब……??? है कोई जवाब ??????
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