भगवान श्री मुनिसुव्रत स्वामी के प्रतिष्ठा महोत्सव में उमड़े सैंकड़ों श्रावक-श्राविकाएं


भगवान श्री मुनिसुव्रत स्वामी के प्रतिष्ठा महोत्सव में उमड़े सैंकड़ों श्रावक-श्राविकाएं

न्यू भूपालपुरा स्थित नव निर्मित जिन शासन के 20वें तीर्थंकर एवं शनिग्रह के कारक परमात्मा श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान की भव्य अंजन शलाका एवं प्रतिष्ठा महोत्सव के पांच दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आचार्य देवेश श्रीमद्विजय हेमचन्द्र सुरीवर म़सा़, सरलमना प्रखर प्रवचनकार आचार्यश्री कल्याण बोधि सूरिश्वर जी एवं नूतन अयार्मश्री निपुणरत्न सूरिश्वर जी मसा की शुभ निश्रा में सम्पन्न हुए। धार्मिक अनुष्ठानों में न्यू भूपालपुरा के श्रावक- श्राविकाओं के साथ ही शहर के अन्य क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।

 

भगवान श्री मुनिसुव्रत स्वामी के प्रतिष्ठा महोत्सव में उमड़े सैंकड़ों श्रावक-श्राविकाएं

न्यू भूपालपुरा स्थित नव निर्मित जिन शासन के 20वें तीर्थंकर एवं शनिग्रह के कारक परमात्मा श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान की भव्य अंजन शलाका एवं प्रतिष्ठा महोत्सव के पांच दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आचार्य देवेश श्रीमद्विजय हेमचन्द्र सुरीवर म़सा़, सरलमना प्रखर प्रवचनकार आचार्यश्री कल्याण बोधि सूरिश्वर जी एवं नूतन अयार्मश्री निपुणरत्न सूरिश्वर जी मसा की शुभ निश्रा में सम्पन्न हुए। धार्मिक अनुष्ठानों में न्यू भूपालपुरा के श्रावक- श्राविकाओं के साथ ही शहर के अन्य क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।

आचार्य हेमचन्द्र सूरी ने बताया कि प्रातः च्यवन कल्याणक पूजा एवं बीस स्थानक पूजन के अनुष्ठान हुए। अनुष्ठानों के बाद च्यवन कल्याणक विधान हुआ जिसमें कई जोड़ों ने विधान में भाग ले कर पुण्य लाभ लिया। इसके अलावा कई भक्तों ने विधान में एकल पूजा करके भी पुण्य कमाया।

इस अवसर पर धर्मसभा में आचार्यश्री हेमचन्द्र सूरी ने च्यवन कल्याणक के महत्व को बताते हुए कहा कि देव लोक से परमात्मा के जीव का माता के कुक्षे यानि उदर में अवतरण होना है। भगवान जब माता के उदर में अवतरित होते हैं तब तीनों लोकों में प्रकाश हो जाता है और घर-घर में आनन्द छा जाता है। आचार्यश्री ने कहा कि परमात्मा देवलोक में भी विरागी होकर रहते हैं। वैभव उनको कांटों की तरह चुभता है इसीलिए वह हमेशा अपने भक्तों में बांटते रहते हैं। भक्ति भावना और धार्मिक अनुष्ठानों को करने का एक ही अर्थ होता है कि मनुष्य अपनी साधना के द्वारा कर्मों को खपा कर अपने मूल स्वरूप को प्राप्त करे।

मंगलवार के आयोजनः संघ के उपाध्यक्ष गजेन्द्र नाहटा ने बताया कि मंगलवार प्रातः 7 बजे से सैंकड़ों श्रावक- श्राविका भक्तों की उपस्थिति में भगवान का जन्म कल्याणक मनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मन्दिर का निर्माण आचार्य कल्याणबोधि सूरी की सांसारी माताजी ने अपने न्यायपूर्ण वित्त से कराया है। पदमा बहन एवं दीपा बहन का प्रतिष्ठा महोत्सव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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