हाईपेक तकनीक: कैंसर रोगियों के लिए एक नई आशा

हाईपेक तकनीक: कैंसर रोगियों के लिए एक नई आशा

गीतांजली हॉस्पिटल के ओन्को सर्जन द्वारा सफल इलाज
 
हाईपेक तकनीक: कैंसर रोगियों के लिए एक नई आशा
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के ओन्को सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया एवं डॉ. अरुण पांडे्य ने तीसरे चरण के ओवेरियन कैंसर से पीड़ित महिला रोगी का अत्याधुनिक तकनीकें सीआरएस एवं हाईपेक तकनीक द्वारा सफल इलाज कर स्वस्थ किया। 

उदयपुर 13 दिसंबर 2019 । गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के ओन्को सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया एवं डॉ. अरुण पांडे्य ने तीसरे चरण के ओवेरियन कैंसर से पीड़ित महिला रोगी का अत्याधुनिक तकनीकें सीआरएस एवं हाईपेक तकनीक द्वारा सफल इलाज कर स्वस्थ किया। 

11 घंटें की जटिल सर्जरी के परिणामस्वरुप 36 वर्षीय महिला रोगी के स्वस्थ जीवन की कामना की जा सकती है। सीआरएस यानि साईटो रिडक्टिव सर्जरी, जिसमें यूटस, गालब्लैडर, लिम्फ नोड्स, आंतों का कुछ हिस्सा एवं पेट की दीवार जो पेट को कवर करती है, को हटाया जाता है। तत्पश्चात् हाईपेक यानि हाईपरथेराटिक इंटा पेरीटोनियल कीमोथेरेपी तकनीक जिसमें सीधे प्रभावित कोशिकाओं पर ही सर्जरी के दौरान कीमाथेरेपी दी जाती है।

 क्या होती है हाईपेक तकनीक..

डॉ. अरुण पांडे्य ने बताया कि पारंपरिक कीमोथेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए सर्जरी के बाद नसों के माध्यम से दवाओं को रक्त में डाला जाता है। परंतु इस नवीनतम तकनीक में सर्जरी के दौरान ही पेट में कैंसर की दवा को पहुंचाया जाता है। इस रोगी का इलाज समर्पित हाईपेक मशीन का उपयोग कर अंतरराष्टीय दिशा-निर्देशों के अनुसार किया गया जिसमें 11 घंटें का समय लगा। इस प्रक्रिया द्वारा इलाज में कैंसर की दवा को सही मात्रा एवं सही तापमान में देना महत्वपूर्ण होता है अन्यथा रोगी की जान को खतरा हो सकता है।  

 डॉ. आशीष जाखेटिया एवं डॉ. अरुण पांडे्य ने कहा कि हाईपेक तकनीक के साथ कैंसर की सर्जरी एवं उपचार उन रोगियों में संभव है जहां पेट की अंदर की बीमारी हो जैसे ओवरी कैंसर। ऐसे में सीधा प्रभावित कोशिकाओं पर ही कीमोथेरेपी दी जाती है जिससे रोगी जल्दी स्वस्थ होता है एवं अप्रभावित अंगों पर दुष्प्रभाव को भी रोकता है।

उदयपुर निवासी महिला रोगी सुहाना (परिवर्तित नाम) उम्र 36 वर्ष पिछले काफी समय से कैंसर से पीड़ित थी। एवं स्थानीय हॉस्पिटल से कीमोथेरेपी की तीन डोज़ भी ले चुकी थी। परंतु आराम न पड़ने पर वह गीतांजली हॉस्पिटल आई जहां सीटी स्केन की जांच में ओवरी में तीसरे चरण के कैंसर एवं पेट तक कैंसर कोशिकाएं के फैलने की पुष्टि हुई।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि, ‘गीतांजली हॉस्पिटल रोगियों का कैंसर से इलाज के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को काफी रियायती दरों पर उपलब्ध करा रहा है। 

उत्कृष्ट एवं गुणवत्ता पूर्ण उपचार प्रदान करने में गीतांजली कैंसर सेंटर बेहतरीन केंद्रों में से एक है। यहां कैंसर से इलाज के लिए एक ही छत के नीचे मेडिसिन, सर्जिकल एवं रेडिएशन ओन्कोलोजी की टीम 24x7 उपलब्ध है। कुशल एवं प्रशिक्षित ओन्को सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया एवं डॉ. अरुण पांडे्य के साथ एनेस्थेटिस्ट डॉ. नवीन पाटीदार के बेहतर प्रयासों से रोगी अब पूर्णतः स्वस्थ है। हम रोगी के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते है।
 

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