थी इक अच्छे पड़ौसी की तलाश, मैं उम्र भर घर ही बदलता रह गया…..


थी इक अच्छे पड़ौसी की तलाश, मैं उम्र भर घर ही बदलता रह गया…..

सृजन द स्पार्क संस्था द्वारा हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग दो दिवसीय ‘‘एक सकून जश्न-ए-परवाज़" कार्यक्रम के दूसरे दिन आज राष्ट्रीय मुशायरें का कार्यक्रम भारतीय लोककला मण्डल में आयोजित किया गया। जिसमें देश भर से आये शायरों के मुख से एक बढ़कर एक निकलें शेरो ने सभी दिल जीत लिया। हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड के सीईओ,पंकज कुमार सीईओ, एम पी मिश्रा, एस पी श्रीमाली, उर्दु अकादमी के सुफियान, ब्रजेश सोनी, राजेश भारद्वाज, डीआईजी प्रसन्न खमेसरा, फिल्म समीक्षक आर.एस.यादव, राजेश खमेसरा, कार्यकम चेय

 

थी इक अच्छे पड़ौसी की तलाश, मैं उम्र भर घर ही बदलता रह गया…..सृजन द स्पार्क व हिन्दुस्तान जिंक का दो दिवसीय ’’जश्न-ए-परवाज’’ कार्यक्रम

सृजन द स्पार्क संस्था द्वारा हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग दो दिवसीय ‘‘एक सकून जश्न-ए-परवाज़” कार्यक्रम के दूसरे दिन आज राष्ट्रीय मुशायरें का कार्यक्रम भारतीय लोककला मण्डल में आयोजित किया गया। जिसमें देश भर से आये शायरों के मुख से एक बढ़कर एक निकलें शेरो ने सभी दिल जीत लिया। हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड के सीईओ,पंकज कुमार सीईओ, एम पी मिश्रा, एस पी श्रीमाली, उर्दु अकादमी के सुफियान, ब्रजेश सोनी, राजेश भारद्वाज, डीआईजी प्रसन्न खमेसरा, फिल्म समीक्षक आर.एस.यादव, राजेश खमेसरा, कार्यकम चेयरमेन इकराम कुरैशी, दुबई के राजकुमार केसवानी, पी.एस.तलेसरा, अब्बास अली बन्दुकवाला, हेमन्त भगवानी ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम शुरूआत की।

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Vaseem Barelvi

 

देश के ख्यातनाम शायर वसीम बरेलवी ने ’खुद को मनवानें का मुझको भी हुनर आता है, मैं वह कतरा हूं,समन्दर मेरे घर आता है..’,’मेरी नज़रो को बरतना कोई तुझसे सीखें,जितना मैं देख सकूं उतना नज़र आता है..’, थी इक अच्छे पड़ौसी की तलाश, मैं उम्र भर घर ही बदलता रह गया….’ शायरी पेश की तो सभी ने तालियों की जबरदस्त दाद दे कर हौसला आफज़ाई की। मुबंई के बॉलीवुड में अपने गीतों से एवं शायरियों के जरिये पहिचान बनाने वाले प्रख्यात शायर शकील आज़मी ने अपने चिर परिचित अंदाज में ’खुद को इतना मत बचाया कर, बारिशें हो तो भीग जाया कर, चाँद ला कर कोई नहीं देगा, अपने चेहरे से जगमगाया कर…’,शेर पढ़कर सभी को अपनी उपस्थिति का सबूत दिया।

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ग्वालियर के शायर मदन मोहन दानिश ने ’ये कहां की रीत है,जागे कोई, सोए कोई,रात सबकी है,सबको नींद आनी चाहिये…’,’ अपनी सरहद से आगे तभी जाओगें,सामने खुद को दीवार करते रहो..’, शायर आलोक श्रीवास्तव ने ’ये सोचना गलत है के तुम पर नजर नहीं, मसरूफ़ हम बहुत है मगर बे़खबर नहीं…’, कार्यक्रम की निजामत करने चाले शायर शकील ज़माली ने ‘लोग कहते है कि इस खेलें सर जाते है, इश्क में इतना खसारा है तो घर जाते है..,’

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शायर अज्म शाकरी ने ’दौलत का, नश्शा भी फंसा नश्शा है,गूंगे बहरे लोग खुदा हो जाते है..’, कश्मीर के शायर विशाल बाग ने ’दो निवालों में समेटी तूने सारी हसरतें तुझको तो ऐ मुफ़लिसी मगरूर होना चाहिये…’, ’तब से लेकर अब तक हमनें बस दुःख ही दुख देखे है इससे अच्छा 16 साल का होते ही मर जाना था..’, शायर अजय पाण्डे सहाब ने ’या तो सच कहनें पे सुक़रात को मारे न कोई,या तू संसार से सच्चाई को वापस लें ले..’ सहित शायर एवं गीतकार रमेश शर्मा ने गीत पेश करते हुए ’क्या लिखते रहते हो यूं ही, चाँद की बातें करते हो धरती पर अपना घर ही नहीं…’ भी अपने कलाम पेश किये। रमेश शर्मा के गीतों ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। रमेश शर्मा के गीतों को भावनात्मक रूप से लेते हुए कुछ महिला श्रोताओं की आंखें भर आयी।

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संस्था के पूर्वाध्यक्ष श्याम एस.सिंघवी ने सृजन द स्पार्क की 5 वर्ष की यात्रा की जानकारी दी। इस अवसर पर संस्था के संरक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा एवं अन्य सदस्यों द्वारा संस्था के उत्थान हेतु दिये गये योगदान का पावर पॉइन्ट प्रजेन्टेशन दिया तथा भावी योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम चेयरमेन इकराम कुरैशी ने कार्यक्रम की जानकारी दी। इस अवसर पर महेन्द्र मोदी ने राजकुमार केसवानी के बारें में जानकारी दी। सृजन द स्पार्क की ओर से सभी शायरों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रजेन्द्र सेठ ने किया।

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