सुख में प्रभु को याद करेंगे तो दु:ख आएगा ही नहीं: आचार्य शान्ति सागरजी


सुख में प्रभु को याद करेंगे तो दु:ख आएगा ही नहीं: आचार्य शान्ति सागरजी

मनुष्य यदि अपने सुख और शान्ति के समय प्रभु भक्ति, प्रभु पूजा करके प्रभु को याद करता रहे तो उसे कभी भी दुख नहीं आ सकता। इसीलिए महाकवि ने कहा है- दु:ख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे का होय।

 
सुख में प्रभु को याद करेंगे तो दु:ख आएगा ही नहीं: आचार्य शान्ति सागरजी

मनुष्य यदि अपने सुख और शान्ति के समय प्रभु भक्ति, प्रभु पूजा करके प्रभु को याद करता रहे तो उसे कभी भी दुख नहीं आ सकता। इसीलिए महाकवि ने कहा है- दु:ख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे का होय। उक्त विचार आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज ने हुमड़ भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये।

आचार्यश्री ने कहा कि आज का मनुष्य क्रोध, मान, माया, लोभ और अहंकार से भरा हुआ है। ऐसा मनुष्य देव शास्त्र, गुरू और प्रभु की पूजा करता भी है तो वह निष्फल होती है। ऐसे मायाचारी मनुष्यों का कभी मोक्ष नहीं हो पाता है। मनुष्य को जिन वाणी पर विश्वास करना चाहिये, निज वाणी पर नहीं।

आचार्यश्री ने कहा कि सन्त की वाणी से सभा में अमृत बरसता है, जबकि निज वाणी से जहर बरसता है, समाज में कड़ुआहट का जहर फैलता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा प्रभु की भक्ति, देव शास्त्र और गुरूवाणी पर ही भरोसा करना चाहिये। हमें मनुष्य जीवन बड़ी ही दुर्लभता से मिला है, इसे निरर्थक नहीं गंवा कर इसे सार्थक बनाना चाहिये।

प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि धर्मसभा में जमनालाल कोठारी नागदा परिवार ने दीप प्रज्वलन, शास्त्र भेंट, पद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट, चित्र अनावरण सहित गुरू पूजा का सौभाग्य प्राप्त किया। सायंकाल विभिन्न धार्मिक एवं मांगलिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए जिनमें श्रावक- श्राविकाओं ने विभिन्न भक्ति गीतों पर नृत्य प्रस्तुतियां दी। इसके बाद आचार्यश्री की मंगल आरती का कार्यक्रम हुआ। आचार्यश्री के सानिध्य को पाने के लिए मेवाड़- वागड़ क्षेत्र के अलावा देश भर से रोजाना कई श्रावक- श्राविकाएं पहुंचते हैं।

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