गरीब को दुःख देकर आपका दिल नहीं पसीजें, तो आप इंसान नहीं: डाॅ.शिवमुनि

गरीब को दुःख देकर आपका दिल नहीं पसीजें, तो आप इंसान नहीं: डाॅ.शिवमुनि

श्रमणसंघीय आचार्य डाॅ.शिवमुनि महाराज ने कहा कि जिस प्रकार मिश्री पानी में मिलकर अपने अस्तित्व को खो देती है वैसे ही परमात्मा की भक्ति में हम भी ऐसे लीन हो जाए की परमात्मा और आपके कोई बीच कोई फासला ही नहीं रहें। सिद्ध विशाल बरदग का वृक्ष है और हम बीज है। हमें वृक्ष बनना है तो जीवन में सहजता, सरलता, विनय, समर्पण और श्रद्धा की नितांत आवश्यकता है।

 

गरीब को दुःख देकर आपका दिल नहीं पसीजें, तो आप इंसान नहीं: डाॅ.शिवमुनिश्रमणसंघीय आचार्य डाॅ.शिवमुनि महाराज ने कहा कि जिस प्रकार मिश्री पानी में मिलकर अपने अस्तित्व को खो देती है वैसे ही परमात्मा की भक्ति में हम भी ऐसे लीन हो जाए की परमात्मा और आपके कोई बीच कोई फासला ही नहीं रहें। सिद्ध विशाल बरदग का वृक्ष है और हम बीज है। हमें वृक्ष बनना है तो जीवन में सहजता, सरलता, विनय, समर्पण और श्रद्धा की नितांत आवश्यकता है।

वे आज महाप्रज्ञ विहार स्थित शिवाचार्य समवसरण में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कभी किसी को भोजन में अन्तराय नहीं देना चाहिए। साधु गोचरी जाते हुए यदि घर के सामने गाय या कोई ब्राह्मण भिक्षु खड़ा है तो उसको लांघकर नहीं जाना चाहिए। आपके पास उसको अगर कपड़े, भोजन, ज्यादा है तो बांट देना चाहिये। किसी गरीब को दुःख देकर आपका दिल पसीजता नहीं है तो आप इंसान नहीं हो सकते हैं।

Click here to Download the UT App

क्या साथ लेकर आए थे और क्या साथ में लेकर जाओगें यही से लिया है और यही छोड़कर जाना है। आज आपके पास धन है तो बांट देना चाहिये क्योंकि जर-जोरू और जमीन का कभी विश्वास मत करना क्योंकि वे कब धेखा दे जाए, कब विश्वासघात हो जाए कुछ पता नहीं चलता हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में भाव महत्वपूर्ण है किसी की सेवा करने का अवसर आए तो चूकना मत उत्कृष्ट भाव से की गई सेवा अनन्त सुख देता है।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal