फसलों, पशु तथा मछली पालन में मौसम सेवा का अहम् योगदान
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय में चल रही तीन दिवसीय मौसम आधारित कृषि सेवाओं की सातवीं वार्षिक समीक्षा बैठक के दूसरे दिन वैज्ञानिकों ने मौसम विज्ञान से संबंधित विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिये। प्रथम सत्र के दौरान समन्वित कृषि मौसम सलाह सेवा पर देश भर में चल रही विभिन्न गतिविधियों पर 11 व्याख्यानों का आयोजन किया गया।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय में चल रही तीन दिवसीय मौसम आधारित कृषि सेवाओं की सातवीं वार्षिक समीक्षा बैठक के दूसरे दिन वैज्ञानिकों ने मौसम विज्ञान से संबंधित विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिये। प्रथम सत्र के दौरान समन्वित कृषि मौसम सलाह सेवा पर देश भर में चल रही विभिन्न गतिविधियों पर 11 व्याख्यानों का आयोजन किया गया।
डॉ के. घोष वैज्ञानिक, आई.एम.डी पुणे ने ग्रामीण कृषि मौसम सेवा की उपलब्धियाँ और भविष्य की योजनाओं पर अपना व्याख्यान दिया।
डॉ एस.के.राय भौमिक, वैज्ञानिक, आई.एम.डी., नई दिल्ली ने कृषि मौसम सलाह सेवा में ब्लाक स्तर पूर्वानुमान पर व्याख्यान दिया। आई.आई.टी. दिल्ली के राजकुमार ने मौसम पूर्वानुमान और कृषि मौसम सलाह सेवाओं के उपयोग पर जानकारी दी।
डॉ विमल भट्टाचार्य, स्पेस एप्लीकेशन सेन्टर (एस.ए.सी.), अहमदाबाद ने वर्तमान और भविष्य में सैटेलाईट सूचनाओं का कृषि मौसम सलाह सेवा के उपयोग पर अपने विचार व्यक्त किए।
द्वितीय सत्र में कृषि मौसम सलाह सेवा की प्रस्तावित गतिविधियों पर चर्चा की गयी। इस पर 12 व्याख्यानों का आयोजन किया गया। इसमें मुख्यतः आई.टी.सी. लिमिटेड के अनूप बजाज ने ई.चैपाल, आई.सी.ए.आर के डा. मोहन कुमार ने जलवायु की चुनौतियों पर, चाय अनुसंधान संगठन के सचिव जायदीप फुकान ने चाय उद्योगों में मौसम सलाह पर, ए.के.पाल, संयुक्त निदेशक, केन्द्रीय मात्स्यकी शिक्षण संस्थान, मुम्बई ने अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में मौसम विज्ञान सलाह सेवाओं की भूमिका पर सारगर्भित व्याख्यान दिया।
बैठकें के आगामी सत्रों में मुख्य रूप से जिला स्तरीय केन्द्रों द्वारा कृषि मौसम सूचनाओं की पुष्टि व मूल्यसंवर्धन तथा कृषि मौसम पूर्व सूचना इकाइयों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। दिनांक 23 नवम्बर को एकीकृत ग्रामीण मौसम कृषि सेवाओं की देशभर में विस्तृत विभिन्न इकाइयों की भावी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा कर शोध व अन्य कार्यक्रमों को मूर्त रूप दिया जाएगा।
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