जागरूकता के अभाव में आज भी नहीं मिल पा रहा है नवजात शिशुओं को दूध
महेशाश्रम के संचालक देवेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि मदर मिल्क आईसीयू में भर्ती बच्चों को यदि समय पर धात्री मां का दूध मिल जाय तो एक चौथाई बच्चों को बचाया जा सकता है लेकिन जागरूकता के अभाव में आज भी औसतन प्रतिदिन 1 धात्री मां का ही मदर मिल्क को द
महेशाश्रम के संचालक देवेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि मदर मिल्क आईसीयू में भर्ती बच्चों को यदि समय पर धात्री मां का दूध मिल जाय तो एक चौथाई बच्चों को बचाया जा सकता है लेकिन जागरूकता के अभाव में आज भी औसतन प्रतिदिन 1 धात्री मां का ही मदर मिल्क को दूध मिल पा रहा है। इसे बढ़ावा देने के लिए समाज स्तर पर बैठकें आयोजित कर धात्री माताओं को जागरूक किया जाना आवश्यक है।
रोटरी क्लब उदयपुर आयोजित स्तनपान सप्ताह के चतुर्थ दिन आज महाराणा भूपाल सर्वाजनिक चिकित्सालय में महेशाश्रम द्वारा संचालित मदर मिल्क परिसर में आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए उक्त बात कहीं। उन्होनें कहा कि यदि धात्री माताओं द्वारा दूध दान किये जाने की प्रवृत्ति के बढऩे पर ही कुपोषण को जढ़मूल से समाप्त किया जा सकेगा।
इस अवसर पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॅा. आर. के. अग्रवाल ने कहा कि मां का दूध पीने वाले बच्चे मानसिक रूप से काफी मजबूत होते हैं। लगातार दो वर्ष मां का दूध पीने वाला शिशु का शरीर 50 प्रतिशत तथा मस्तिष्क 92 प्रतिशत तक विकसित होता है। शिशु की जरूरत के अनुसार मां के दूध आता है। मां का दूध पीने वाले बीमार बच्चे शीघ्र ही स्वस्थ होते है।
इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष बी. एल. मेहता ने बताया कि शहरी एंव ग्रामीण महिलाओं में दूध दान करने की प्रवृत्ति को बढ़ाना देने हेतु उनमें जागरूकता लाने के लिए शिविर आयोजन के साथ ही पर्याप्त प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
इस अवसर पर डॅा. देवेन्द्र सरीन, पूर्व प्रान्तपाल निर्मल सिंघवी, सचिव सुरेन्द्र जैन, डॅा. आनन्द स्वरूप, साधना मेहता, आभा स्वरूप, आशा जैन ने भी अपने विचार रखें। क्लब की ओर से डॅा. आर. के. अग्रवाल व देनेन्द्र अग्रवाल को स्मृतिचिन्ह प्रदान किये गये।
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