‘मनोरोग न्याय की परिधी में’ – जानें मानसिक रोगियों के अधिकार
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अन्तर्गत शुक्रवार को नर्मदा देवी ऑडिटोरियम के सभागार में विधिक साक्षरता शिविर -'मनोरोग न्याय की परिधी में' कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अन्तर्गत शुक्रवार को नर्मदा देवी ऑडिटोरियम के सभागार में विधिक साक्षरता शिविर -‘मनोरोग न्याय की परिधी में’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथी न्यायाधीश माननीय नीरज भारद्वाज व मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. डी.एम. माथुर ने द्वीप प्रज्ज्वलन कर किया। इसमें उदयपुर के गणमान्य न्यायाधीशों व मेडिकल एवं नर्सिंग कॉलेज के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथी न्यायाधीश माननीय श्री नीरज भारद्वाज ने मानसिक रोगियों के अधिकारों एवं अन्य न्यायिक पक्षों के बारे में बताया। इन्होंने मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 1987 की धारा व इंडियन मेन्टल हेल्थ एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। इन्होने बताया कि गरीबों, अशक्तजनों, आदि हर वर्ग के मनोरागियों के लिए विभिन्न प्रकार के कानून व नियमों का प्रावधान है।
इन कानून का उद्देश्य समाज में लोगों को मनोरोगियों के प्रति अवधारणा को बदलना, मनोरोगियों की दशा में सुधार व अंधविश्वास के प्रति जागरूक करना है। ऐसे मनोरोगी जो समाज के लिए खतरनाक है उनके लिए भी कई प्रकार के कानून बनाये गये है।
मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. डी.एम. माथुर ने बताया कि सभी लोगों को मनोरोगियों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए, यह व्यवहार उस रोगी को जल्दी स्वस्थ होने में सहायक होता है। उन्होने अंधविश्वास, झांड़- फंक, उपर की हवा आदि सामाजिक अवधारणाओं के प्रति लोगों को जागरूकता प्रदान करने व मानसिक रोगियों को इसके उपचार के लिए मनोरोग चिकित्सकों से उपचार करवाने पर भी प्रकाश डाला।
इसी के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अर्न्तगत बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता प्रदान करने हेतु एक कार्यशाला भी रखी गई। इस कार्यशाला में विभाग के आचार्य डॉ. अशोक सिंघल एवं मनोरोग चिकित्सक डॉ. शिखा शर्मा द्वारा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, मनवाखेड़ा (गिर्वा) के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को बालकों में पाए जाने वाली मनोरोग समस्याओं के लक्षणों, कारणों एवं उपचार विधियों से अवगत कराया एवं उनके सरल उपचार का विस्तृत विवरण दिया।
वक्ताओं ने बालकों को अनुशासित जीवन जीने एवं मानसिक रोगो के लक्षणों, कारणों व इनके उपचार के लिए स्वयं एवं परिवार द्वारा अपनाए जा सकने वाली उन विधियों का विवरण प्रदान किया जिन्हें अपना कर बालकों को इन व्याधियों से बचाया जा सके।
विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. मनु शर्मा ने पधारे हुए संभागीयों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम के संयोजक मनोरोग चिकित्सक डॉ़. जितेन्द्र जीनगर थे।
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