इन सर्दियों में जरूरतमंदों के बनें हमदर्द, बांटे दर्द,दें खुशियां
इस साल की सर्दियां झीलों की नगरी के लोगों के लिए हैप्पी विंटर का अहसास लेकर आएगी। शेयर एन्ड केयर की अदभुत सोच और भावना के साथ शहर के सभ्रांत नागरिक हजारों जरूरतमंदों के दर्द को बांटने वाले हमदर्द बनेंगे। कंपकंपी छुड़ाने वाली सर्दी में कोई बिना कपड़ों और चप्पलों के ठिठुरे नहींए इसकी जिम्मेदारी शहरवासी अपने हाथों में लेंगे।
इस साल की सर्दियां झीलों की नगरी के लोगों के लिए हैप्पी विंटर का अहसास लेकर आएगी। शेयर एन्ड केयर की अदभुत सोच और भावना के साथ शहर के सभ्रांत नागरिक हजारों जरूरतमंदों के दर्द को बांटने वाले हमदर्द बनेंगे। कंपकंपी छुड़ाने वाली सर्दी में कोई बिना कपड़ों और चप्पलों के ठिठुरे नहींए इसकी जिम्मेदारी शहरवासी अपने हाथों में लेंगे।
सामाजिक सरोकार की इस अलख को हर दिल में जगाने का काम हाथ में लिया है एम स्क्वायर इवेंट्स एंड प्रोडक्शन और विवेकानंद लोक मंच ने। इस अनूठे अभियान के माध्यम से शहर का हर नागरिक जरूरतमंद की मदद के लिए प्रज्वलित होने वाले हवन में आहुति दे सकेगा। एम स्क्वायर के सीईओ मुकेश माधवानी ने बताया कि हैप्पी विंटर पहल से आमजन को जोड़ा जाएगा। मुहिम का मकसद सिर्फ परोपकार की भावना को सबके मन में जगाना है और उदयपुर इस सोच को जागृत रखने में बहुत आगे है। सामाजिक सरोकार के अभियान हैप्पी विंटर का आगाज शीघ्र किया जाएगा।
सिर्फ यह करना होगा सबको मिलकर -विवेकानंद लोक मंच के संयोजक ने बताया कि शहर में करीब 6 लाख दुपहिया एवं 93 हजार कारें दौड़ रही हैं। यदि इनके मालिक सभी मिलकर अपने वाहन में एक जोड़ी वस्त्र एवं एक जोड़ी चप्पल या जूते रखकर सड़कोंए स्मारकोंए मंदिरों के बाहर वस्त्रहीन एवं नंगे पैर दिखाई देने वाले जरूरतमंद को पहनाएं तो कोई भी व्यक्ति नंगे पैर एवं वस्त्रहीन नहीं रहेगा। सामूहिक प्रयासों से ही सर्दी का सितम झेलने वालों को हम बचा पाएंगे।
सोशल मीडिया पर साझा करें परोपकार की सोच-जो भी शहरवासी किसी जरूरतमंद की वस्त्र और चरण पादुकाओं से मदद करेगा, उसकी खुशियां बांटने वाली फोटो या वीडियो को हैप्पी विंटर के फेसबुक पेज पर जरूर साझा करें। हैप्पी विटंर से टैग करें। इससे परोपकार की सोच तेजी से एक दूसरे के दिल तक पहुँचेगी।
दर्द तो बांटे, मिलेगा सुकून -माधवानी ने बताया कि प्रतिदिन हम बिना किसी वजह के कई रुपए पेट्रोल, डीजल या अन्य किसी अतिरिक्त जरुरतों पर खर्च कर देते हैं । यदि हम अपने वाहन का उपयोग थोड़ी सी समाज सेवा के लिये कर पाएं तो न केवल सदुपयोग की सोच आगे बढ़ेगी बल्कि जरूरतमंद की मदद करके आत्मिक खुशी भी मिलेगी।
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