शिल्पग्राम उत्सव के अंतिम चरणों में निरन्तर बढ़ रही लोगों की आवक
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव-2013 के अंतिम चरणो के चलते शिल्पग्राम आने वाले लोगों की संख्या में निरन्तर वृद्धि शनिवार को देखने को मिली। उत्सव के आठवें दिन हाट बाजार में कलात्मक वस्तुएं खरीदने वाले लोगों की अच्छी रौनक रही।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव-2013 के अंतिम चरणो के चलते शिल्पग्राम आने वाले लोगों की संख्या में निरन्तर वृद्धि शनिवार को देखने को मिली। उत्सव के आठवें दिन हाट बाजार में कलात्मक वस्तुएं खरीदने वाले लोगों की अच्छी रौनक रही।
उत्सव के आठवें दिन हाट बाजार में विभिन्न दूकानों पर शिल्प व कलात्मक वस्तुएँ खरीदने वाले लोगों से अटा नजर आया। शिल्पग्राम परिसर में पश्चिमी छोर पर बने वस्त्र संसार में लोगों ने विभिन्न प्रकार के वस्त्रों, कारपेट, सूती दरियाँ, चद्दरें, कुशन कवर, कशीदा युक्त बेड कवर, पटोला साड़ी, बनारसी साड़ी, पश्मीना शॉल, वूलन कोट, जैकेट, हिमाचली टोपी, ऊनी टोपी व दस्ताने, अंगोरा के स्वेटर, जैकेट, शॉल, बाड़मेरी पट्टू की थडि़यों पर लोगों ने खरीददारी की।
इसी बाजार में नट कलाकार ने रस्सी पर चल कर व साइकिल की रिंग पर चलने जैसे करतब दिखाये। यहीं पर लोगों ने मक्की की पापड़ी, चना मूंगफली का घूमते हुए आनन्द लिया। वस्त्र संसार के पीछे हैदराबादी फूड कॉर्नर पर लोगों ने वेज बिरियानी, स्वीट्स व अन्य प्रकार के भोजन का स्वाद जिव्हा को लगाया।
रंगमंच पर सुग्गी कुनीठा ने मनाया त्यौहार, कावड़ी कड़गम ने किया अचम्भित
कनार्टक से आये सुग्गी कुनीथा नर्तकों ने अपने अचंल के तीज त्यौहार की खुशियों को उदयपुर के कला प्रेमियों के साथ बांटा तथा कावड़ी कड़गम नृत्य में हैरत अंगेज भरी कला से दर्शकों को अचम्भित सा कर दिया।
रंगमंच पर आयोज्य इस सांस्कृतिक सांझ में राजस्थान के मांगणियार कलाकारों ने प्रसिद्ध लोकगीत लहरिया सुनाकर दर्शकों की दाद बटोरी मगर कनार्टक से आये हल्लाकी समुदाय के कलाकारों ने त्यौहार पर किया जाने वाला सुग्गी कुनीठा नृत्य में अपनी अनूठी परंपराओं को दर्शाया। सिर पर फूलों से भी टोकरी लिये कलाकारों ने अपने लोक वाद्यों के साथ आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया।
हल्लाकी समुदाय के लोग त्यौहारों पर घर-घर जा कर नृत्य करते हैं व खुशियां बांटते हैं। इसी प्रकार कावड़ी कड़गम नृत्य में महिलाओं ने सिर पर कावड़ी रख कर अपने लोचदार शरीर से नृत्य के दौरान विभिन्न प्रकार के करतब दिखा कर दर्शकों को हैरत में डाला।
कार्यक्रम में मणिपुर की युद्ध कला थांग-ता में कलाकारों ने तलवार बाजी करते हुए आत्मरक्षा के गुर दिखाये। वहीं एक कलाकार द्वारा दो डंडों पर बैटन को संतुलित कर उछालने के करतब पर दर्शकों ने कलाकार की हौसला अफजाही की। गुजरात के राठवा आदिवासियों का नृत्य आदिम परंपरा का अनूठा रंग लिये हुए था।
इस प्रस्तुति में लौकी के तुंबे से बने आवरण व हाथ में तीर कमान लिये राठवा कलाकार ने अपनी लोक परंपरा का प्रदर्शन किया वहीं नृत्य के आखिर में पिरामिड रचना के साथ अम्बा की सवारी के दृश्य ने प्रस्तुति को नयनाभिराम बनाया।
दस दिवसीय मेले में विकास आयुक्त हस्तशिल्प नई दिल्ली, विकास आयुक्त हैण्डलूम, वूल बोर्ड, जूट विकास बोर्ड तथा देश के अन्य सांस्कृतिक केन्द्रों से आये शिल्पकार दिन भर लोगों को शिल्प उत्पाद पसंद करवाने व बिकवाने में व्यस्त रहे। जूट संसार में लोगों ने वॉटर बॉटल कवर, झूले, जूट बैग्स, जूट की जूतियाँ आदि खरीदी। दर्पण बाजार में बैठे मृदा शिल्पियों ने मिट्टी के तवे, गैस के तवे, घंटियाँ, जादूई दीपक, बड़े आकार के पॉट्स लोगों को बेंचे।
दोपहर में मुख्य द्वार के पास बने थड़े पर गुजरात के कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुतियाँ दी वहीं भुजोड़ी झोपड़ी के समक्ष बने गुर्जरी थड़े पर कोटा अंचल के सहरिया आदिवासी कलाकारों ने अपने शरीर पर चित्रांकन कर नृत्य प्रदर्शन किया।
शिल्प कला में नव प्रयोग, मैटल पर मीनाकारी के शिल्प उत्पाद-री सेल वैल्यु
शिल्पग्राम उत्सव-2013 में पहली बार आई मैटल पर मीनाकारी के काम को अच्छा रेस्पोन्स मिल रहा है वहीं इस शैली में बनाई कलात्मक वस्तुओं को लोग कौतुहल भरी नजर से देख रहे हैं। उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद से आये जैद अपनी दुकान पर आने वाले लोगों को अपने उत्पादों की जानकारी देते हुए बताते हैं कि इसकी री सेल वैल्यु है।
जैद ने बताया कि उसके परिवार ने जिस मैटल से प्रेशर कुकर बनाया जाता है उसी मैटल से कलात्मक वस्तुएँ बना कर रंग बिरंगी मीनाकारी से उसे सुंदरता प्रदान करने का प्रयास किया है। इस शैली से उन्होंने फ्रूट प्लेट, मसालदानी, ड्राईफ्रूट प्लेट, मुखवास ट्रे, सामान्य ट्रे इत्यादि बनाये हैं।
इन उत्पादों की तली में उन्होंने मीनाकारी से मयूर व अन्य प्रकार की आकृतियां बनाई है। इसके अलावा इसी मैटल से उन्होंने विभिन्न आकार के हवाई जहाज भी बनाये हैं जिसे देखने के लिये बच्चे लालायित रहते हैं। इनके उत्पादों की कीमत हालांकि लोगों को कुछ ज्यादा लगी तो शिल्पकार जैद ने ‘‘री सेल’’ वैल्यु का फंडा अपना लिया है।
पोट्रेट बनाने की होड़
उत्सव में आने वाले लोग हाट बाजार में बैठे चित्रकारों से स्वयं का आवक्ष बनाने की होड़ सी लग जाती है। संगम सभागार तथा डांग झज्ञेंपड़ी के समीप बैठे कलाकार मेला प्रारम्भ होने के साथ ही अपनी स्केच डायरी व कागज कलम ले कर अपने ठीये पर पहुंच जाते हैं। जहां दिन भर सामने बैठे व्यक्ति के चेहरे को देख-देख कर उसका हूबहू स्कैच बनाते नजर आते हैं।
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