असंयम ही दु:खदायी है- आचार्य कनकनन्दी जी
आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में आचार्य कनकनन्दी गुरूदेव ने पर्यूषण पर्व की समापन वेला में उत्तम संयम धर्म की महत्ता प्रतिपादित करते हुए कहा कि संयम के बिना महान उपलब्धि स्वरूप मानव जन्म शून्य रूप है क्योंकि पूर्ण संयम प्राप्ति की योग्यता मनुष्य भव में ही प्राप्त होती है जो कि ऋद्धि वैभव के धारी इन्द्र आदि देवों को भी दुर्लभ है।
आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में आचार्य कनकनन्दी गुरूदेव ने पर्यूषण पर्व की समापन वेला में उत्तम संयम धर्म की महत्ता प्रतिपादित करते हुए कहा कि संयम के बिना महान उपलब्धि स्वरूप मानव जन्म शून्य रूप है क्योंकि पूर्ण संयम प्राप्ति की योग्यता मनुष्य भव में ही प्राप्त होती है जो कि ऋद्धि वैभव के धारी इन्द्र आदि देवों को भी दुर्लभ है।
आचार्यश्री ने प्राणी संयम, इन्द्रिय संयम, मन संयम, वचन संयम, अर्थ संयम, समय संयम, शक्ति संयम आदि की जीवन के विकास में महत्ती आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए बताया कि असंयम ही इह पर लोक में दु:ख की परम्परा को देने वाला है।
आचार्यश्री ने बताया कि हमारे भारतीय परिवेश में अर्थ नियोजन निवेश समयक नहीं होने से भारतीय जन फैशन, व्यसन व अनुत्पादक गतिविधियों में लिप्त होने से राष्ट्र का नैतिक पतन तीव्रता से हो रहा है।
आचार्यश्री ने कहा इसलिए शक्ति, साधन, बुद्धि, धन आदि को संयमित होकर प्रयोग करने पर ही स्व- पर- राष्ट्र- विश्व का हित हो सकता है। आचार्यश्री ने धर्मसभा में आचार्यों की वाणी का सार बताते हुए कहा कि प्रमाद या असंयम ही मृत्यु है, जबकि अप्रमाद या संयम ही जीवन है।
भगवान आदिनाथ की निकली भव्य शोभा यात्रा
व्यवस्थापक भंवरलाल मुण्डलिया ने बताया कि धर्मसभा से पूर्व महावीर नगर सेक्टर- 11 से भगवान आदिनाथ का रथ शोभा यात्रा के रूप में निकला जो गाजे- बाजे, भक्ति गीतों और नृत्यों की प्रस्तुतियों के साथ क्षेत्र की विभिन्न कॉलोनियों में होता हुआ पुन: आदिनाथ भवन पहुंचा। आचार्यश्री कनकनन्दी ससंघ के सानिध्य में शोभा यात्रा में सैंकड़ों श्रद्धालु साथ रहे जिसका नेतृत्व राजेन्द्र प्रसाद कोठारी, रोशनलाल गदावत, पारस चित्तौड़ा, जयन्ति भाई रजावत, भंवर मुण्डलिया एवं रतनपाल वेड़ा सहित समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने किया।
शोभा यात्रा में पुरूष श्वेत वस्त्रों में थे जबकि महिलाओं ने केसरियां साड़ी पहनी। सबसे आगे भगवान महावीर स्वामी की तस्वीर और मां जिनवाणी को लिये सजी- धजी बग्गी चल रही थी। शोभा यात्रा में महिलाएं जहां धार्मिक भजनों के साथ नृत्य करती चल रही थी वहीं पुरूष भी गरबा नृत्य करके भक्तिमय वातावरण बना रहे थे।
शोभा यात्रा के साथ भगवान की पालकी कॉलोनियों में जब- जब भी समाजजनों के घरों के बाहर पहुंची श्रद्धलुओं ने पालकी की आरती की और श्रीफल चढ़ाये। क्षेत्रीय भ्रमण के बाद शोभा यात्रा आदिनाथ भवन पहुंची तब ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव आदि पदाधिकारियों ने भगवान की पूजा-अर्चना के साथ आरती की। इसके बाद भगवान को पुन: आदिनाथ भवन में विराजमान किया गया। वहां पर आचार्यश्री के सानिध्य में महा शान्तिधारा विधान पूजन किया गया। इसके बाद समाजजनों के लिए स्वामी वात्सल्य का आयोजन हुआ।
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