जो भक्ति मे रत है उसे भारत कहते है : संत लोकेशानन्द


जो भक्ति मे रत है उसे भारत कहते है : संत लोकेशानन्द

जो भक्ति मे रत है उसे भारत कहते है, भारत विश्व का ईशान कोण है, और ईशान कोण भक्ति का कोण है। भारत देश संस्कारों की जननी है, मींरा की भक्ति की भूमि है। यहां बच्चे माँ - बाप की सेवा करते है बच्चों को कार दे या ना दे पर उन्हे संस्कार देना जरूरी है। भक्ति और शक्ति की भूमि मेवाड़ की महिमा का वर्णन करते हुए और संस्कारों के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करते हुए यह प्रवचन श्री नारायण भक्ति पंथ के प्रवर्तक संत लोकेशानन्द महाराज ने भुवाणा स्थित आईटीपी गार्डन के नारायणपुरम मे नारायण भक्ति प

 
जो भक्ति मे रत है उसे भारत कहते है : संत लोकेशानन्द
जो भक्ति मे रत है उसे भारत कहते है, भारत विश्व का ईशान कोण है, और ईशान कोण भक्ति का कोण है। भारत देश संस्कारों की जननी है, मींरा की भक्ति की भूमि है। यहां बच्चे माँ – बाप की सेवा करते है, लेकिन विदेशों मे 16 साल के बच्चे भी माँ – बाप के साथ नही रहते और बुढ़ापे मे उनकी सेवा भी नही करते। बच्चों को कार दे या ना दे पर उन्हे संस्कार देना जरूरी है। भक्ति और शक्ति की भूमि मेवाड़ की महिमा का वर्णन करते हुए और संस्कारों के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करते हुए यह प्रवचन श्री नारायण भक्ति पंथ के प्रवर्तक संत लोकेशानन्द महाराज ने भुवाणा स्थित आईटीपी गार्डन के नारायणपुरम मे नारायण भक्ति पंथ मेवाड द्वारा आयोजित श्री विष्णुपुराण ज्ञान कथा यज्ञ के तीसरे दिन नारायण भक्तों को दिये।
नानी बाई का मायरा का वर्णन सून भक्त हुए अभिभूत
श्री विष्णु पुराण कथा के अंशों को आगे बढ़ाते हुए संत लोकेशानन्द ने कथा के दौरान सम्राट भरत का वर्णन करते हुए बताया कि चक्रवती बनने की चाह मे भरत को अभिमान हुआ उसके अभिमान के टूटने पर भक्ति की राह पर बढऩा, हिरण रूप मे जन्म, और जड़ भरत की कथा का वर्णन किया। इसके साथ ही श्राद्ध विधि बताते हुए भगवान विष्णु के भक्त नरसिंह मेहता की भक्ति से प्रसन्न विष्णु द्वारा नरसिंह की पिता का श्राद्ध, नरसिंह के रूप मे भगवान विष्णु द्वारा नरसिंह की बहन नानी बाई का आश्चर्यचकित मायरा ले जाना और साथ ही पद्मनाभ स्वामी मंदिर की महिमा का गुणगान भी किया।
रंगमा मारी रंगमा… पर संत संग झूमे भक्त
संगीतमयी श्री विष्णु पुराण कथा के दौरान संत लोकेशानन्द महाराज ने नानी बाई के मायरे के प्रसंग के दौरान Þ मारी भूल चुक बिसरा जो रे नरसिंह करे पुकार संवरा बेगा आजो रे……, और पद्मनाभ स्वामी का ध्यान करते हुए Þ रंगमा मारी रंगमा…, भजनों की संगीतमयी प्रस्तुतियां दी। रंगमा भजन पर जहाँ पूरे पांडाल मे मौजूद सभी नारायण भक्त अपने स्थान पर खड़े होकर झूम कर नृत्य करने लगे वहीं नारायण की भक्ति मे लीन संत लोकेशानन्द भी पूरे भजन के दौरान अपने आसन पर बैठे ही झूमते रहे। प्रभु भक्ति का ऐसा वातावरण तैयार हुआ मानों सभी भक्त मेवाड़ मे बैठकर ही पद्मनाभ स्वामी के दर्शन कर रहे हो।
आज मनाया जायेगा ब्रम्होत्सव
कथा आयोजक योगेश कुमावत ने बताया कि श्री विष्णु पुराण कथा के चौथे दिन बुधवार को कथा के प्रसंग अनुसार ब्रम्होत्सव मनाया जायेगा। इस दौरान रंग-बिरंगे फूलों से भगवान का बंगला बनाकर उन्हे बिराजित किया जायेगा और षोडश पूजन के साथ ही नदी के दोनों किनारों और मध्य की मिटृटी का पूजन मे उपयोग करते हुए भगवान का अभिषेक किया जायेगा।
कथा के तीसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप मे नगर विकास प्रन्यास के अध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली, चित्तौडगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी, जोधपुर के संत राम रतन महाराज एवं अन्य संत वृन्दों सहित हजारों नारायण भक्तो ने कथा श्रवण का लाभ लिया।

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