गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के बायोकेमिस्ट्री विभाग में अध्यनरत संगप्रिया मुखर्जी ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान परंपरागत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के प्रयोग एवं इनका कोरोनावायरस के लक्षण इसकी गंभीरता, अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता, अस्पताल भर्ती रहने का समय कोरोना वायरस के हानिकारक परिणामों व दुष्प्रभावों व 700 से अधिक आर.टी.पी.सी.आर पॉजिटिव रोगियों में अधययन किया।
बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ आशीष शर्मा ने बताया कि आयुर्वेदिक काढ़ा (एलोवेरा, तुलसी, हल्दी, गिलोय) का सेवन करने वाले 85% कोविड-19 से ग्रसित रोगी 10 दिन या उससे कम समय अस्पताल में भर्ती रहे इस दौरान उन्हें किसी गंभीर लक्षण व मुश्किलों का सामना भी नहीं करना पड़ा जबकि परंपरागत औषधि का सेवन ना करने वाले 54% लोग 20 या ज्यादा दिन अस्पताल में भर्ती रहे उन्हें कोरोनावायरस सम्बन्धी मुश्किलों का सामना करना पड़ा साथ ही पोस्ट कोविड उनकी रिकवरी भी बहुत धीमी गति से हुई।
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियां अत्यंत उपयोगी है और इनके प्रचार प्रसार जानकारी फायदों का विश्व स्तर पर प्रचार होना आवश्यक है।
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