ग्रामीण महिलाओं के सषक्तिकरण की प्रेरणास्पर्ध कहानी
राधा सोमानी आगुचा की रहने वाली हैं तथा घर में सबसे बडी होने के कारण इनकी जिम्मेदारियों भी हमेषा से अधिक रही हैं। शादी हुई, परन्तु पैसे की तंगी हमेषा सताती रही। राधा के पति की एक निष्चित आमदनी नहीं थी। राधा सोमानी के तीन बच्चों में, दो लड़की व एक लड़का है।
राधा सोमानी आगुचा की रहने वाली हैं तथा घर में सबसे बडी होने के कारण इनकी जिम्मेदारियों भी हमेशा से अधिक रही हैं। शादी हुई, परन्तु पैसे की तंगी हमेषा सताती रही। राधा के पति की एक निष्चित आमदनी नहीं थी। राधा सोमानी के तीन बच्चों में, दो लड़की व एक लड़का है।
वैसे तो राधा सोमानी घर की आर्थिक स्थिति से बेहद परेशान थी परन्तु उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। उनका निष्चिय था कि वह हर हालात में घर को संभालंेगी और घर को आर्थिक संकट से बाहर निकालेंगी ।
इसी समय राधा सोमानी को हिन्दुस्तान जिं़क द्वारा चलाये जा रहे ‘सखी’ स्वयं सहायता समूह के बारे में पता चला। राधा सोमानी को मानो एक सूर्य की किरण जैसी उम्मीद मिल गई हो। हिन्दुस्तान जिं़क के अधिाकारियों ने राधा सोमानी से मिले तथा उन्हें ‘सखी’ स्वयं सहायता समूह के गठन तथा उससे होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी। ‘सखी’ स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत ग्रामीण व आदिवासी महिलाओं को पेैसे की बचत, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा सामाजिक व आर्थिक दृष्टिकोण से समर्थ बनाया जाता हैं।
राधा सोमानी ने वर्ष 2005 में अपने समूह, ‘‘सखी’ – आगुचा महिला बचत समूह’’ की स्थापना की। कुछ समय पश्चात् राधा सोमानी ने 50,000 रुपए का ़ऋण लेकर एक मणिहारी की दुकान खोली। साथ ही हिन्दुस्तान जिं़क द्वारा चलाये जा रहें प्रषिक्षणों में भाग लेकर सिलाई, कढ़ाई, बन्धेज, मीनाकारी आदि का व्यावसायिक काम भी सीख लिया।
समय बीता और ‘सखी’ राधा सोमानी का जीवन व परिवार की आर्थिक स्थिति बदलने लगी।
आज ‘सखी’ राधा सोमानी के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आ चुका हैं। उनकी दोनों बेटियों ने उच्च षिक्षा के लिए हिन्दुस्तान जिं़क के ही वेदान्ता महिला महाविद्यालय, रींगस, में प्रवेष लिया, तथा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो चुकी हैं। राधा सोमानी का बेटा कम्प्यूटर षिक्षा प्राप्त कर नौकरी कर रहा है।
‘सखी’ राधा सोमानी की सफलता की कहानी आज आगुचा में ही नहीं बल्कि आगुचा के आस-पास के गांवों में भी जानी जाती है। राधा सोमानी उन महिलाओं के लिए एक उदाहरण है जो कठिनाईयों का सामना कर जीवन में अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए कटिबद्ध है।
आज ‘सखी’ राधा सोमानी एक ‘सखी’ मित्र की भूमिका निभा रही है तथा अपनी जैसी अनेकों ग्रामीण व आदिवासी महिलाओं सामाजिक व आर्थिक रूप से सषक्त कर रही हैं।
सखी’ राधा सोमानी से पूछने पर उन्होंने बताया कि आज मैं और मेरा परिवार सम्मान की जिन्दगी जी रहे हैं ।’’
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