वि़द्यापीठ में कंप्यूटेशनल, इंटेलिजेंस व कम्युनिकेशन नेटवर्क पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन


वि़द्यापीठ में कंप्यूटेशनल, इंटेलिजेंस व कम्युनिकेशन नेटवर्क पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन

भारत में कम्युनिकेशन नेटवर्किंग में आने वाले समय काफी कुछ करना शेष है। लेकिन इस सेक्टर में रिसर्च केन्द्रों की कमी महसूस की जा रही है इसके लिए जरूरी है कि इसके लिए इस सेक्टर में अधिक से अधिक रिसर्च हो तथा प्रारभिक शिक्षा से ही बच्चों में इसके प्रति जागरूकता पैदा की जाये।

 

वि़द्यापीठ में कंप्यूटेशनल, इंटेलिजेंस व कम्युनिकेशन नेटवर्क पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन

भारत में कम्युनिकेशन नेटवर्किंग में आने वाले समय काफी कुछ करना शेष है। लेकिन इस सेक्टर में रिसर्च केन्द्रों की कमी महसूस की जा रही है इसके लिए जरूरी है कि इसके लिए इस सेक्टर में अधिक से अधिक रिसर्च हो तथा प्रारभिक शिक्षा से ही बच्चों में इसके प्रति जागरूकता पैदा की जाये।

अमेरिका चाईना, आस्टेलिया एवं अन्य पश्चिम देश में तो अच्छी स्थिति है लेकिन भारतीय परिदृश्य में यह एक बडी चुनौति के रूप में उभर कर सामने आ रही है। यह जानकारी युनिवर्सिटी ऑफ केनबरा से आये प्रो. मुरे वुड्स ने दी । अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में कम्प्युटर एवं आईटी एवं मीर लेब एवं आई.ई.ई.ई. के संयुक्त तत्वावधान द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में समापन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने सभी आईटी विशेषज्ञों से आव्हान किया कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में भी रिसर्च बेस कन्सेप्ट तैयार कर वहां विकसित की जाने वाली नवीन तकनीकों को खोजे। उन्होने बताया कि वर्तमान में ग्रामीण तथा आदिवासी परिवेश आज भी आईटी की नई नई विधाओं से अनजान है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सौराष्ट्र विश्वविद्यालय गुजरात के वाइस चांसलर प्रो. प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि उच्च शिक्षा में हो रहे आईटी रिसर्च कम प्रभावी है शोधार्थी ग्लोबल मार्केट आधार पर रिसर्च को मजबुती दे।

इसमें नेटवर्किंट, कम्युनिकेशन एवं टेक्नोलॉजी, वेब वर्ड, नेनो टेक्नोलॉजी आदि का समावेश हो। मुख्य अतिथि जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. लोकेश शेखावत ने कहा कि मोबाईल पर बात करते हुए सामने वाले व्यक्ति का विडियों देख पाना, उनसे करना, इंटरनेट के द्वारा वाट्स बुक, फेस बुक का उपयोग करना यह युग नेटवर्किंंग युग है। जो आईटी की ही देन है।

समारोह के विशिष्ठ अतिथि मीर लेब के प्रो. जी.एस. तोमर, प्रो. एन.एन. जॉनी, विश्वविद्यालय अनुदान आयेाग की सदस्य डॉ. विजयश्री तिवारी, प्रो. अकलु तक्षी, डॉ मनीष श्रीमाली, डॉ. गौरव गर्ग, डॉ. भारत सिंह देवड़ा, डॉ. प्रदीप सिंह शक्तावत, चन्द्रेश छतलानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन सचिव डॉ. मनीष श्रीमाली ने बताया कि तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमीमार कुल 740 शोध पत्र प्राप्त हुए जिनमें 240 का वाचन किया गया।

इन्हे मिला पुरस्कार

कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने बताया कि संगोष्ठी में गाजियाबाद के प्रो. मुनेश त्रिवेदी को विज्ञान रत्न सम्मानित किया गया। बेस्ट फेकल्टी पुरस्कार का सम्मान अशरफ समराह को दिया गया तथा बेस्ट पेपर स्टुडेंट का अवार्ड कविता गोस्वामी को दिया गया।

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