कोलकाता की अन्तर्राष्ट्रीय फोटोग्राफर लोपामुद्रा तालुकदार इन दिनों उदयपुर के दौरे पर हैं। पिछले कुछ दिनों में लोपामुद्रा ने उदयपुर शहर सहित यहां के ग्रामीण क्षेत्रों की छवि और संस्कृति को क्लिक किया है।
लोपामुद्रा का कहना है कि राजस्थान को अब तक सिर्फ रेगिस्तान के लिए जाना-पहचाना जाता था, देश-दुनियां में राजस्थान की छवि इसी प्रकार की है। ऐसा हरा-भरा, शिल्प-स्थापत्य का धनी और सांस्कृतिक वैभव से परिपूर्ण उदयपुर वास्तव में अद्भुत और अविस्मरणीय है। उन्होंने कहा कि जितना सुंदर और अनूठा यहां का शिल्प, स्थापत्य और ऐतिहासिक पक्ष है उतना ही उमदा यहां के लोगों का व्यवहार भी है। वो बताती है कि उनका विषय भी यहां की संस्कृति और रहन-सहन पर ही केन्द्रीत रहता है ऐसे में वे ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क करती है और उनके विचारों और रहन-सहन का जानने का प्रयास करती है।
गुरुवार को यहां पहुंची लोपामुद्रा ने अब तक शहर की फतहसागर और पिछोला झील गणगौर घाट, पुराना शहर, सज्जनगढ, शिल्पग्राम, करणीमाता, जंगल सफारी पार्क के साथ मेनार गांव का दौरा किया है और यहां के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक परिवेश का क्लिक किया है।
मेनार गांव के दौरे को वे अपना सर्वश्रेष्ठ अनुभव मानती है और बताती है कि ग्रामीणों के व्यवहार और यहां की संस्कृति ने उन्हें अब तक सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। वे यहां की होली और अन्य सांस्कृतिक परंपराओं को कवर करने के लिए आगामी दिनों में फिर ये यहां आने की योजना भी बना रही है।
इस दौरान उन्होंने जनसंपर्क उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा, पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे सहित कई विशिष्ट जनों से भी मुलाकात की है और यहां के सांस्कृतिक पक्ष पर जानकारी संकलित की है।
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