16 सितम्बर से शुरू होगी अंतर्राष्ट्रीय संघोष्ठी


16 सितम्बर से शुरू होगी अंतर्राष्ट्रीय संघोष्ठी

12वीं अंतर्राष्ट्रीय संघोष्ठी ‘रोग वाहक तथा रोगवाहक जनित बीमारियों की वर्तमान स्थिति तथा उनके नियंत्रण तथा भविष्य में इनके रोकथाम’ के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दूओं को ध्यान में रखते हुए आयोजित की जा रही है।

 

16 सितम्बर से शुरू होगी अंतर्राष्ट्रीय संघोष्ठी

12वीं अंतर्राष्ट्रीय संघोष्ठी ‘रोग वाहक तथा रोगवाहक जनित बीमारियों की वर्तमान स्थिति तथा उनके नियंत्रण तथा भविष्य में इनके रोकथाम’ के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दूओं को ध्यान में रखते हुए आयोजित की जा रही है।

मलेरिया तथा विष्व की प्रमुख छः आर्थिक बोझ वाली बीमारियां जैसे डायरिया, एच.आई.वी./एड्स, टी.बी., मिजल्स, निमोनिया तथा हेपेटाईटिस-बी 85 प्रतिशत जनसंख्या को प्रभावित करती है।

मलेरिया रोग 2020 तक विश्व की 107 देशों की 36 प्रतिशत जनसंख्या को प्रभावित कर लेगा। दक्षिण-पूर्व एशिया में रिपोर्ट किये गये   2.5 मिलियन मामलों में  से 70 प्रतिषत मामलें सिर्फ भारत देश से रिकार्ड किये गये है। वर्तमान में 80.5 प्रतिशत जनता मलेरिया के उच्च जोखिम क्षेत्र में निवास करती है।

विश्व में रोगवाहक बीमारियों के बोझ को ध्यान में रखते हुए राजस्थान में खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में अपनी तरह की पहली संघोष्ठी का जिम्मा मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय ने नेशनल अकादमी ऑफ वेक्टर बोर्न डिजिजेज के सहयोग से करवाने का जिम्मा लिया है। यह संगोष्टी दिनांक 16-18 सितम्बर 2013 को होटल इंदर रेजीडेन्सी, गोवर्द्धन विलास में आयोजित की जा रही है।

इस संगोष्टी में रोगवाहक जनित व्याधियों के क्षेत्र में कार्य करने वाले मुख्य अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय ख्याति प्रधान संस्थान एंव देश के विभिन्न मेडिकल संस्थानों में कार्य करने वाले निदेशक व वैज्ञानिक अपने शोध कार्यों को प्रस्तुत करेंगे।

इन्दिरा गांधी, गंगा नहर आदि के राजस्थान में आने से राजस्थान में रोगवाहक जनित बीमारियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है। मजदूरों के गमन व परागमन के कारण भी इनकी संख्या में अत्यधिक वृद्धि व फैलाव हुआ है। राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र में हालात और भी गंभीर है इसके मुख्य दो कारण है: एक तो वहां के लोगों में बीमारियों के प्रति ज्ञान व जागरूकता न होना तथा इनके गांवों की बसावट ढाणी प्रकार से होने के कारण घर दूर-दूर होते है। अस्पताल व दवाईयों की सुविधा भी बराबर नहीं है।

नहरों के आने से पूर्व जहां राजस्थान में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया इतनी गंभीर बिमारी नहीं थी, लेकिन अब दिमागी मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया रोगियों की संख्या में प्रति वर्ष वृद्धि हो रही है। इन बिमारियों से संकटग्रस्त देशों मे औद्योगिक संचालन आर्थिक रूप से अत्यधिक प्रभावित हो रहे है। अतः इस खतरे को दूर करने के लिये एक सम्मिलित वाहक नियंत्रण कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है, जो कि इनके खतरे का मूल्यांकन करे, नियंत्रण के उपाय निकाले और इनके नियमन को सम्मिलित करे, और इस संदर्भ में यह संगोष्टी आधार रूप से लेकर क्रियान्वयन स्तर तक वाहक व वाहक जनित बीमारियों को समर्पित है।

इस संगोष्टी में अंतराष्टीय व राष्ट्रीय  स्तर के विभिन्न वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, गुणी तथा अनेक कम्पनी वाले सभी एक मंच पर एकत्र होकर अपने ज्ञान को साझा करेंगे ताकि निकट भविश्य में नई दवाईयां, नये उत्पाद, पॉलिसी बनाकर बीमारियों के उन्मूलन को सहयोग देंगे।

संघोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ. वी.एम. काटोच, स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार होंगे । इस संगोष्टी में चार नियोजित व्याख्यान होंगे। डॉ. लियोनार्ड ऑटेगा, क्षेत्रीय परामर्षदाता मलेरिया, एसईएआरओ, नई दिल्ली मलेरिया उन्मूलन पर, डॉ. ए.सी. धारीवाल, नई दिल्ली डेंगु पर, डॉ. आशुतोष विश्वास तथा डॉ. नीना वालेचा, नई दिल्ली देंगे।

इसके अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्रधान वैज्ञानिक जैसे प्रो. आर.एस. यादव, डॉ. जेन काल्टन, डॉ. विलियम जेनी, डॉ. टीसा बी. नोक्स आदि अपने षोध कार्य को प्रस्तुत करेंगे। इनके अतिरिक्त 300 से ज्यादा वैज्ञानिक व युवा शोधकर्ता अपने शोध पत्रों का मौखिक व पोस्टर के माध्यम से प्रदशित करेंगे। संगोश्ठी में प्रस्तुत शोध पत्रों का विषयों में मुख्य मलेरिया परजीवी के लिये नई दवाईयों के निर्माण, जिनोमिक्स, समुदाय के सहयोग, रोगों के स्थानान्तरण, वातावरण व जलवायु के परिवर्तन का प्रभाव, राजस्थान में रोगवाहक बीमारियों जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन होगा।

इस संघोष्ठी से होने वाले मंथन व चर्चाओं से विश्व के वैज्ञानिकों को एक नई सोच तथा दिशा प्रदान करेंगे। तथा साथ ही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में रोगवाहक रोगों को रोकने तथा प्रसारण को कम करने के लिये सही योजनाओं के निर्माण में सहयोग प्रदान करेंगे।

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