नगावली तालाब पर आयरलैण्ड़ के पक्षी विशेषज्ञ ने देखा दुर्लभ पक्षी
चित्तोड़गढ़ जिले के नगावली तालाब पर आयरलैण्ड़ के पक्षी विशेषज्ञ पॅाल पैट्रिक कुलेन ने दो भारतीय पक्षी प्रेमी विरेन्द्र प्रकाश परमार तथा आलोक उपाध्याय के साथ पक्षी अवलोकन के दौरान दुर्लभ युरेशियन बिटर्न पक्षी का अवलोकन किया। वैज्ञानिक भाषा में इसे बूटोरस स्टेलेरिस कहा जाता है।
चित्तोड़गढ़ जिले के नगावली तालाब पर आयरलैण्ड़ के पक्षी विशेषज्ञ पॅाल पैट्रिक कुलेन ने दो भारतीय पक्षी प्रेमी विरेन्द्र प्रकाश परमार तथा आलोक उपाध्याय के साथ पक्षी अवलोकन के दौरान दुर्लभ युरेशियन बिटर्न पक्षी का अवलोकन किया। वैज्ञानिक भाषा में इसे बूटोरस स्टेलेरिस कहा जाता है।
यह पक्षी यूरोप के ठण्डे प्रदेशों से लेकर जापान तक प्रजनन करता है तथा सर्दी की ऋतु में देशांतर गमन कर भारत पहुंचता है। यह पक्षी प्रायः उन जलाशयों में बसेरा डालना पंसद करता है जहां ऐरा घास के सघन झुरमुट पानी के किनारे उगते हैं। यह पक्षी घास के झुरमुट में छुपकर गर्दन और चोंच को ऊपर की तरफ तानकर बैठा रहता है।
घासों के बीच गर्दन तानकर रखने से यह भी घास के तने समान दिखने से सहजता से नजर नहीं आता। जैसे ही किसी भोजन को पकडने के लिए गर्दन तेजी से घुमाता है तभी इसकी उपस्थिति का पता लगता है। यह पक्षी घंटो चुपचाप बैठा रहता है तथा व्यव्धान के समय उडते हुए भी कोई आवाज नहीं करता।
पक्षी विशेषज्ञ कुलेन ने इस पक्षी को यूरोप में काफी बार देखा है अतः उन्होने इसे तुरन्त पहचान लिया। उदयपुर सम्भाग में पिछले सात साल बाद इस पक्षी को पुनः देखा गया है। यह पक्षी सुबह शाम एवं रात को सक्रिय रहता है तथा अकेला रहना पसंद करता है।
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