गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली बर्दाश्त नहीं होगी: पद्मावती प्रकरण में गरजे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़


गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली बर्दाश्त नहीं होगी: पद्मावती प्रकरण में गरजे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

पिछले कई दिनों से काल्पनिक फिल्म पद्मावती को लेकर विभिन्न संचार माध्यमों पर हो रही बयानबाजी को लेकर आखिरकार बुधवारको लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ गरजे। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि किसी भी प्रकार की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली बर्दाश्त नहीं की जा सकती। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि इस काल्पनिक फिल्म के विरोध में बयानबाजी करना तो बहुत ही आसान है। लेकिन इसका समाधान निकालना आज की सदी की सबसे बड़ी शिक्षा होगी। उन्होंने कहा कि वे स्वयं अपने जज्बात को जाहिर करने के लिए बयानबाजी, तोड़फोड़ और हाथापायी को उचित नहीं मानते।

 
गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली बर्दाश्त नहीं होगी: पद्मावती प्रकरण में गरजे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

पद्मावती प्रकरण में गरजे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

पिछले कई दिनों से काल्पनिक फिल्म पद्मावती को लेकर विभिन्न संचार माध्यमों पर हो रही बयानबाजी को लेकर आखिरकार बुधवार को लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ गरजे। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि किसी भी प्रकार की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली बर्दाश्त नहीं की जा सकती।लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि इस काल्पनिक फिल्म के विरोध में बयानबाजी करना तो बहुत ही आसान है। लेकिन इसका समाधान निकालना आज की सदी की सबसे बड़ी शिक्षा होगी। उन्होंने कहा कि वे स्वयं अपने जज्बात को जाहिर करने के लिए बयानबाजी, तोड़फोड़ और हाथापायी को उचित नहीं मानते।

उन्होंने कहा कि ऐसे पवित्र विषय को एक मनोरंजन के रूप में पेश करना किसी निर्देशक की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। उन्होंने इस फिल्म के कलाकारों से भी पूछा कि क्या उन्होंने मर्यादा में रहकर सच्चे कलाकार होने का फर्ज निभाया है। उन्होंने धीर-गंभीर होकर कहा कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता।

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब-जब शिक्षा व इतिहास के साथ खिलवाड़ किया गया उसका मेवाड़ बहिष्कार करता आ रहा है और करता रहेगा। उन्होंने कहा कि फिल्म से जो रोष उभरकर आ रहा है उससे लोग एकजुट हुए है जो काबिलेतारीफ है पर एकता को आलोचना में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सबका प्रयास हो कि सरकार एक सख्त कानून बनाए जिससे भविष्य में केवल मेवाड़ ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत में मनोरंजन के नाम पर इतिहास, संस्कृति और लोगों की भावनाओं के साथ छेड़छाड़ करने की कोई भी जुर्रत ना कर सके। यह प्रयास और एकता अगर व्यर्थ जाती है तो इसका स्वयं उनको सर्वाधिक दुःख होगा। मेवाड़ ने कहा कि मन में उठ रही बहिष्कार की इस ज्वाला को कानून के दायरे में रहकर मुकम्मल मंजिल तक पहुँचाना आवश्यक है।

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