क्या फेसबुक का अधूरा ज्ञान हमें भारी पढ़ रहा है?
किसी छोटे बच्चे के हाथ में कोई बहुत ही अजीब खिलौना लग जाए तो क्या होगा? बच्चा निः संकोच उसके साथ खेलने की कोशिश तो करेगा पर हो सकता है इस चक्कर में या तो वह खिलौना टूट जाये या फिर बच्चा उसका इस्तेमाल खुद अपने तरीके से करने लगे जो गलत भी हो सकता है।
किसी छोटे बच्चे के हाथ में कोई बहुत ही अजीब खिलौना लग जाए तो क्या होगा? बच्चा निः संकोच उसके साथ खेलने की कोशिश तो करेगा पर हो सकता है इस चक्कर में या तो वह खिलौना टूट जाये या फिर बच्चा उसका इस्तेमाल खुद अपने तरीके से करने लगे जो गलत भी हो सकता है।
आज फेसबुक भी कुछ ऐसा ही खिलौना साबित हो रहा है जिसका अधूरा ज्ञान भारी पढ़ रहा है आम जनता पर। क्या शेयर करना है, क्या लिखना है, किससे दोस्ती करनी है, किससे नहीं और किसकी किस बात पर कैसे व्यवहार करना है हमें नहीं पता परन्तु इस खिलौने से खेलना सभी को है।
दुनिया के पचास करोड़ से ज्यादा लोग facebook.com पर रजिस्टर्ड है जिससे यह ८ साल पुरानी वेबसाइट आज सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साईट बन गयी है। रोज़ कई लोग इससे जुड़ रहे है, कुछ अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के कहने पर और कुछ अखबारों में आती फेसबुक से जुडी खबरों की वजह से।
कुछ दिनों पहले उदयपुर में हुए सांप्रदायिक तनाव फेसबुक से ही पनपा था । फेसबुक अब तक कई आफतो की वजह बन चुकी है जिसमे सबसे आम है बिना अनुमति किसी का भी अभद्र फोटो या प्रोफाइल बनाना, धार्मिक और राजनेतिक कटाक्ष करना और जातिगत बुराइयां करना।
इसमें फेसबुक को ही पूरा दोष देना भी सही भी नहीं होगा क्यूंकि फेसबुक ने दुनिया में लोगो के बीच दायरों को कम ही नहीं किया है बल्कि हमारे सोचने के तरीको और सूचना के आदान प्रदान को बहुत आसान भी किया है।
गलती हमारी है क्यूंकि हम में ज्ञान की कमी है। प्रशासन, समाज और मीडिया का फेसबुक के प्रति उदासीन व्यवहार आज सबको भारी पढ़ गया है।
हो सकता है बहुत जल्द फेसबुक को विषय के रूप में स्कूल और कॉलेजों में पढाया जायेगा पर तब तक क्या फेसबुक पर किसी भी आपत्तिजनक बात का हर्जाना शहरों में दंगे, मार पीट और लूट पाट कर के वसूला जाएगा?
वक्त से साथ तेज़ी से बढती टेक्नोलॉजी की उपेक्षा समस्याओं को न्योता है क्यूंकि सोशल मीडिया एक अत्यधिक लचीली और आसानी से फैलने वाली वो क्रिया है जो प्रतिदिन नया रूप लेती है, फेसबुक भी इसी का एक रूप है।
फेसबुक का सही इस्तेमाल आपके कारोबार में, आपसी सबंधो में और दुनिया से रुबरु होने में कारगर साबित हो सकता है परन्तु इसी का दुरूपयोग आने वाले समय में विश्व युद्ध का कारण भी बन सकता है।
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