चन्द रोज़ा ये जिन्दगानी है, मौत तो इक दिन आनी,जानी है..
हमदर्द एकता संस्थान की ओर से आज सवीना में कौमी एकता मुशायरा आयोजित किया गया। जिसमें शहर के 15 शायरों ने भाग लेकर गलज,नज्मों एवं शायरियों की प्रस्तुति देकर माहौल को शायराना बना दिया। मुशायरा के मुख्य अतिथि आबिद अदीब, विशिष्ठ अतिथि बांसवाड़ा के शायर महशर अफगानी थे।
हमदर्द एकता संस्थान की ओर से आज सवीना में कौमी एकता मुशायरा आयोजित किया गया। जिसमें शहर के 15 शायरों ने भाग लेकर गलज,नज्मों एवं शायरियों की प्रस्तुति देकर माहौल को शायराना बना दिया। मुशायरा के मुख्य अतिथि आबिद अदीब, विशिष्ठ अतिथि बांसवाड़ा के शायर महशर अफगानी थे।
संस्थान के खुर्शीद नवाब ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा कि चन्द रोज़ा ये जिन्दगानी है, मौत तो इक दिन आनी-जानी है….,कितने फलो की जां निसारी पर, कतरा-ए- इत्र,एक मिलता है…अजमेर के शायर अरूण त्रिपाठी ने रूहानी नशा,सहत का मोहताज नहीं होता,हमे भीतर ही अपनी रोशनी ढूंढनी होगी.., शकुन्तला सरूपरिया ने पलकों की पालकी बैठी है,डोली में चढ़ कर जाएगी,मेरी लाडो प्यारी नखराली,सज,धज,के दुल्हन बन जाएगी…, प्रेम प्यारी भटनागर ने ये दुनिया इक समंदर है,मगर साहिल खुदा तू है, हर इक गम की लहर मे भी रहा शामिल खुदा तू है…नज्म सुनाकर सभी शायरों ने अपने-अपने कलाम का जादू बिखेरा।
शायर पुष्कर बेकस ने राजस्थानी में गज़ल मायने,रंग घणा,देख,देख वे दंग घणा पेश कर गज़ल के माहौल को दिल फरेब ऊंचाइयां दी। इकबाल हुसैन इकबाल ने परखने की जरूरत है, भला क्या है, बुरा क्या है,नज़र वालो,नजर डालो,पस-ए-पर्दा छुपा क्या है..,शायर अजीज ने भी अपने-अपने कलाम पेश किये। मुशायरे का संचालन मुश्तांक चंचल ने किया।
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