फतेहसागर बांध सुरक्षा क्षेत्र में खुदे सभी ट्यूबवैल बंद करना जरूरी
फतेहसागर के सन्दर्भ में डॉ अनिल मेहता के अनुसार जब ट्यूबवेलों की संख्या का वास्तविक आंकलन हो गया है तो प्रशासन केवल दो ट्यूबवैल को ही बंद करवा इतिश्री क्यों करना चाहता है। जल संसाधन विभाग एवं प्रशासन दावा करते है कि वे बांध का नियमित निरिक्षण करते है तो फिर इतने ट्यूबवेल खुद कैसे गए? उन्हें खुदते वक्त रोका क्यों नहीं गया? अब जब जानकारी सबके सामने आ गई है तो लगभग चार दर्जन इन खतरनाक ट्यूबवेल को बंद करने में किस बात का डर या दबाव है ?
फतेहसागर बांध के सुरक्षा जोन, दो सौ मीटर में कई ट्यूबवैल व हेण्डपम्प है। जल संसाधन विभाग, नगर निगम तथा यू आई टी के स्वयं के सर्वे में यह खतरनाक स्थिति सामने आई है। लेकिन, आश्चर्य है कि प्रशासन केवल दो ट्यूबवैल ही बंद करवाएगा। प्रशासन से पुछा जाना चाहिए कि केवल दो ही क्यों, सारे क्यों नहीं बंद करवाये जा रहे है।
जल प्रभंधन विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा की बांध के नीचे गहरे नलकूपो से बांध की सरंचना पर विपरीत असर पड़ता है। सामान्य ज्ञान की बात भी है कि किसी दिवार के पास गहरे गहरे छेद कर दिए जाये तो दिवार पलटने का जोखिम रहता है। बांध के ठीक नीचे इन ट्यूबवैल का सीधा सबंध झील के पानी से होता है। इनसे खिंचा पानी झील का ही होता है। झील व् नीचे खुदे ट्यूबवेलों के जुड़ाव की जलप्रवाह चैनल बांध को नीचे से खोखला कर सकती है। ऐसी स्थिति में बांध पलट सकता है, टूट सकता है। फतेहसागर के सन्दर्भ में डॉ अनिल मेहता के अनुसार जब ट्यूबवेलों की संख्या का वास्तविक आंकलन हो गया है तो प्रशासन केवल दो ट्यूबवैल को ही बंद करवा इतिश्री क्यों करना चाहता है। जल संसाधन विभाग एवं प्रशासन दावा करते है कि वे बांध का नियमित निरिक्षण करते है तो फिर इतने ट्यूबवेल खुद कैसे गए? उन्हें खुदते वक्त रोका क्यों नहीं गया? अब जब जानकारी सबके सामने आ गई है तो लगभग चार दर्जन इन खतरनाक ट्यूबवेल को बंद करने में किस बात का डर या दबाव है ?
डॉ मेहता ने यह भी कहा कि सरकार जल् स्वावलंबन अभियान चला रही है, आपदा प्रबंधन पर राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार दोनों ही गंभीर है। फिर, आपदा को आमंत्रित करने वाले, जल सरंचना को जोखिम में डालने वाले इन नलकूपो पर इतना फौरी और कमजोर दृष्टीकोण क्यों है।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal