संस्कृति को संस्कृत-संस्कार से जोड़ना जरूरी: रासबिहारी


संस्कृति को संस्कृत-संस्कार से जोड़ना जरूरी: रासबिहारी

महंत रास बिहारी शरण शास्त्री ने कहा कि वैदिक ज्ञान को आधार बनाकर वर्तमान संस्कृति को संस्कृत और संस्कार से जोड़ने की जरूरत है। आज डिग्री मिलने के बाद ज्योतिषीय विद्या हर कोई करने लगता है और उसे अपना व्यवसाय बना लेता है लेकिन जरूरत है कि व्यावहारिक और सैद्धांतिक रूप से ज्योतिषीय विद्या का उपयोग किया जाए तो निस्संदेह वह काम आती है।

 
संस्कृति को संस्कृत-संस्कार से जोड़ना जरूरी: रासबिहारी

महंत रास बिहारी शरण शास्त्री ने कहा कि वैदिक ज्ञान को आधार बनाकर वर्तमान संस्कृति को संस्कृत और संस्कार से जोड़ने की जरूरत है। आज डिग्री मिलने के बाद ज्योतिषीय विद्या हर कोई करने लगता है और उसे अपना व्यवसाय बना लेता है लेकिन जरूरत है कि व्यावहारिक और सैद्धांतिक रूप से ज्योतिषीय विद्या का उपयोग किया जाए तो निस्संदेह वह काम आती है।

वे रविवार को सौ फीट रोड स्थित अशोका पैलेस में महर्षि काॅलेज आॅफ वैदिक एस्ट्रोलोजी के वर्ष 2017 का दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। अध्यक्षता करते हुए डाॅ. सुरेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि आचार, विचार और व्यवहार में ज्योतिष व्यवहार में लाएं। सिर्फ डिग्री प्राप्त करना ही सब कुछ नहीं है। गृहस्थाश्रम कैसे सुखी रहे, इस पर ज्योतिष अपना ज्ञान बांटें। इसके लिए उत्तम गर्भाधान संस्कार की बहुत आवश्यकता है। इस पर भी अध्ययन, अध्यापन होना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि भगवतीशंकर व्यास ने कहा कि मुहूर्त से जोड़ते हुए कहा कि ज्योतिष की सभी विधाएं अनुकूल हैं। काल को खत्म करने के लिए काल के चैघड़िये में मुहूर्त किया जाता है ठीक उसी प्रकार हाॅस्पिटल का मुहूर्त करने के लिए रोग का चैघड़िया देखा जाता है। उन्होंने नामाक्षर के विश्लेषण की आवश्यकता जताते हुए कहा कि संस्कृत के अध्ययन की भी जरूरत है।

विशिष्ट अतिथि अहमदाबाद के कानूभाई पुरोहित ने कहा कि शिक्षा के बाद दीक्षा की जरूरत होती है जिसका हमेशा सदुपयोग करना चाहिए। उसके सकारात्मक उपयोग की जरूरत है। डिग्री मिलने के बाद उसे अपने जीवन में व्यावहारिक रूप से अपनाएं। विशिष्ट अतिथि प्रहलाद ढोलकिया ने कहा कि इसे सेवा के रूप में अपनाएं। सकारात्मक ज्योतिष करने पर उन्होंने बल देते हुए इसे मनोविज्ञान से जोड़ें। काॅलेज के प्रबंध निदेशक विकास चैहान ने बताया कि समारोह में उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना से अध्ययनरत करीब 40 छात्र-छात्राओं को वाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई।

कार्यक्रम संयोजक प्रकाश परसाई ने बताया कि काॅलेज की ओर से किए गए पौधरोपण कार्यक्रम में सराहनीय सहयोग करने वाले कार्यकर्ताओं को प्रमाण-पत्र प्रदान कर सेवाओं का मूल्यांकन किया गया। समारोह में कृष्णकांत लावण्या, परीक्षित चक्रबूर्ति, अनुसूया सिंह, रणजीत पी. ने भी शोध सम्बन्धी विचार व्यक्त किए। आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलन किया। अतिथियों का उपरणा ओढ़ाकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार प्रदर्शन भारती दशोरा व्यक्त ने किया।

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