बरसात नही और तेजी से घट रहा झील स्तर
झीलों में तेजी से जल स्तर घट रहा है। बरसात समाप्ति की ओर है। इससे पेयजल आपूर्ति व पर्यटन पर असर तो पडेगा ही, प्रदूषण का प्रभाव भी ज्यादा होगा। यह चिंता रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त की गई। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व गांधी मानव कल्याण समि
झीलों में तेजी से जल स्तर घट रहा है। बरसात समाप्ति की ओर है। इससे पेयजल आपूर्ति व पर्यटन पर असर तो पडेगा ही, प्रदूषण का प्रभाव भी ज्यादा होगा। यह चिंता रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त की गई। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व गांधी मानव कल्याण समिति द्वारा किया गया।
डॉ अनिल मेहता ने कहा कि सतही जल का तो उदयपुर अति दोहन कर ही रहा है, भूमिगत जल को भी बेतहाशा खीचकर प्रकृति के साथ अन्याय कर रहा है। मेहता ने कहा कि उपलब्ध जल के अनुसार जल आपूर्ति के नियम बनाने होंगे। तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों के पैंदे के उघड़ने के साथ साथ किनारो पर खरपतवार सड़ रही है। इसे हटाने के स्थान पर वंही जलाया जा रहा है। यह पर्यावरण के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि जलस्तर कम होता जा रहा है और खरपतवार बढ़ती जा रही है।
नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि नागरिकों को पानी की बचत करना होगा व अपव्यय रोकना होगा। झील किनारे के होटलों में लगे ट्यूबवेलों से हो रहे अन्धाधुन्ध दोहन को रोकने के लिए पर्यटकों को भी न्यूनतम जल खर्च के लिए प्रेरित करना होगा। पल्लब दत्ता, द्रुपद सिंह, कुशल रावल, रमेश राजपूत ने कहा कि जंगल व पहाड़ों को काटने का खामियाजा उदयपुर के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।
इस अवसर पर पिछोला घाट पर श्रमदान कर खरपतवार, गंदगी हटाई गई व ईश्वर से पर्याप्त बरसात की प्रार्थना की गई।
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