मन में मिथ्या अभिप्राय नहीं होना ही यथार्थ क्षमा है: आचार्य कनकनन्दीजी


मन में मिथ्या अभिप्राय नहीं होना ही यथार्थ क्षमा है: आचार्य कनकनन्दीजी

आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में महापर्व पर्यूषण का शनिवार से भक्तिभाव एवं श्रद्धलुओं के उम

 
मन में मिथ्या अभिप्राय नहीं होना ही यथार्थ क्षमा है: आचार्य कनकनन्दीजी

आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में महापर्व पर्यूषण का शनिवार से भक्तिभाव एवं श्रद्धलुओं के उमंग और उत्साह के साथ प्रारम्भ हुआ। सेक्टर 11 आदिनाथ भवन में प्रात: से ही समाजजन भक्तों का रैला उमड़ पड़ा। भक्तिभाव से सराबोर समाजजन कभी आदिनाथ भगवान के जयकारे लगा रहे थे कभी जय- जय गुरूदेव से माहौल को पूर्ण भक्ति मय बना रहे थे।

पर्यूषण पर्व के प्रथम दिवस में आदिनाथ भवन में उपस्थित धर्माराधक जनों को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूदेव ने उत्तम क्षमता धर्म का शोधपूर्ण रहस्यात्मक स्वरूप बताते हुए कहा कि उत्तम क्षमता के धारक रत्ïनत्रययुक्त साधु ही होते हैं श्रावक या गृहस्थ तो क्षमता के आराधक होते हैं। पूज्य श्री ने कहा कि जिसके मन में क्रोध-मान-माया-लोभ आदि मिथ्या अभिप्राय होते हैं उसकी क्षमा याचना अधिक खतरनाक साबित होती है।

आर्चाश्री ने कहा कि हमें सर्वप्रथम स्वयं को क्षमता करके अनन्तर दूसरों को क्षमा करना चाहिये। इसके लिए टेंशन से बचना चाहिये जो कि विविध मानसिक व शारीरिक व्याधियों का जनक होता है। इस अवसर पर नागपुर से पधारे डॉ. अजय कुमार द्वारा आचार्य श्री से आजीवन ब्रह्मचर्य का नियम लिया गया, जिसका उपस्थित जनों ने करतल ध्वनि से अनुमोदन किया। आचार्य श्री रचित कृति ‘आदर्श-विचार-आहार-विहार’ व एक फोल्डर का भी विमोचन किया गया।

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