कस्तूर बा की बदौलत ही गांधीजी ‘महात्मा’ बन पाए


कस्तूर बा की बदौलत ही गांधीजी ‘महात्मा’ बन पाए

प्रभा खेतान फाउंडेशन और कल्चरल रोंदेव्यु की श्रंखला 'कलम' कार्यक्रम के तहत होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित कार्यक्रम में लेखिका नीलिमा डालमिया अडार की लिखी किताब 'कस्तूर बा की रहस्य्मयी कहानी' पर पुस्तक की लेखिका के साथ चर्चा की गई। किताब में वर्णित प्रसंगो पर किये गए सवालों के जवाब लेखिका द्वारा बेबाक लेकिन संतुलित शब्दों में दिए गए। नीलिमा डालमिया के अनुसार कस्तूर बा एक माँ, पत्नी भी है जो सब कुछ सहते हुए चुपचाप अपने पति के साथ चलती है। दूसरे शब्दों में कहे तो कस्तूर बा की बदौलत ही गांधीजी 'महात्मा' बन पाए।

 
कस्तूर बा की बदौलत ही गांधीजी ‘महात्मा’ बन पाए

प्रभा खेतान फाउंडेशन और कल्चरल रोंदेव्यु की श्रंखला ‘कलम’ कार्यक्रम के तहत होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित कार्यक्रम में लेखिका नीलिमा डालमिया अडार की लिखी किताब ‘कस्तूर बा की रहस्य्मयी कहानी’ पर पुस्तक की लेखिका के साथ चर्चा की गई। किताब में वर्णित प्रसंगो पर किये गए सवालों के जवाब लेखिका द्वारा बेबाक लेकिन संतुलित शब्दों में दिए गए।

कस्तूर बा के जीवन पर आधारित काल्पनिक किताब ‘द सीक्रेट डायरी ऑफ़ कस्तूर बा’ की हिंदी रूपांतरण के बारे में लेखिका ने कहा कि किताब लिखते समय वह किसी दबाव में नहीं थी। लेखिका नीलिमा के कहा की मेरी और मेरी माँ के बारे में काफी सारे तथ्य कस्तूर बा के जीवन से मिलता जुलता है इसी प्रकार गांधीजी के बारे में भी की कई बाते मेरे पिता जैसी थी।

कस्तूर बा की बदौलत ही गांधीजी ‘महात्मा’ बन पाए

नीलिमा डालमिया ने बताया कि लोग गांधीजी को ‘महात्मा’ की तरह मानते और पूजते रहे है लेकिन कस्तूर बा की नज़र से देखने पर वहीँ सब सच नहीं है और जो लोग जानते है। आज तक लोगो को गांधीजी, कस्तूर बा और उनके बेटे हरिलाल के बारे में अधूरा ज्ञान है।

एक सवाल के जवाब में लेखिका ने कहा की वह मनोविज्ञान की छात्रा रही है इसी कारण कस्तूर बा की आवाज़ को पहचान कर उसके जीवन के दुःख सुख से जुड़ पायी। लेखिका नीलिमा डालमिया के अनुसार कस्तूर बा एक माँ, पत्नी भी है जो सब कुछ सहते हुए चुपचाप अपने पति के साथ चलती है। दूसरे शब्दों में कहे तो कस्तूर बा की बदौलत ही गांधीजी’महात्मा’ बन पाए।

कस्तूर बा की बदौलत ही गांधीजी ‘महात्मा’ बन पाए

कार्यक्रम में महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी श्री जी अरविन्द सिंह ‘मेवाड़’, निवृति कुमारी ‘मेवाड़’, कनिका अग्रवाल, श्रद्धा मुर्डिया, मूमल भंडारी, रिद्धिमा दोशी, स्वाति अग्रवाल और शुभ सिंघवी सहित शहर के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे

कस्तूर बा की बदौलत ही गांधीजी ‘महात्मा’ बन पाए

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