बेटियों को बचाने वाली बेटी के निधन पत्रकार जगत स्तब्ध
राजस्थान पत्रिका की रिपोर्टर श्रीमती तरूश्री का एक सडक़ दुघर्टना में आकस्मिक निधन हो जाने पर पत्रकार जगत स्तब्ध रह गया। राजस्थान पत्रिका के उदयपुर संस्करण में कुछ समय के लिए ही पत्रकारिता की लेकिन जितनी भी उसमें उन्होंने अपनी लेखनी की छाप छोड़ी।
राजस्थान पत्रिका की रिपोर्टर श्रीमती तरूश्री का एक सडक़ दुघर्टना में आकस्मिक निधन हो जाने पर पत्रकार जगत स्तब्ध रह गया। राजस्थान पत्रिका के उदयपुर संस्करण में कुछ समय के लिए ही पत्रकारिता की लेकिन जितनी भी उसमें उन्होंने अपनी लेखनी की छाप छोड़ी।
जन्म के बाद बेटियों को छोड़ देने के मामले हो या दुग्धपान को लेकर धात्री महिलाओं को जगाने के। हर मामले को जनता से जोड़ कर उन्हें पत्रिका की मुहिम से ऐसा जोड़ा कि महिलाओंं द्वारा जहंा जन्म के बाद बच्चियों को फेंकने के मामले में कमी आयी वहीं धात्री महिलाओं ने आज भी उस अभियान को अपना कर्तव्य समझ कर पूरा करने में अग्रणी रहती है।
जनता तरूश्री की लेखनी के कायल थे। तरूश्री की पकड़ सिर्फ हॉस्पीटल की खबरों तक की ही सीमित नहीं थी। उन्होंने संगीत के क्षेत्र पर भी अपनी पकड़ को कभी ढीला नहीं होने दिया। संगीत समारोह की कवरेज करते समय संगीतकारों के इन्टरव्यू करते समय उनकी पूरी बायोग्राफी का अध्ययन कर उनसे सवाल-जवाब पूछ कर उन्हें निरूत्तर कर देती थी।
शेरो-शायरी उनकी रग-रग में बसी थी। प्रतिदिन प्रात: वॉट्स अप पर शारो शायरी की मानो बरसात होती थी लेकिन अब उस कलम की नोक टूट कर वहीं रूक गयी है। बच्चियों की किलकारी को कलम के जरिये आमजन की अपनी आवाज बनाने वाली अब नहीं रहीं।
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