दो कदम आगे की सोच कर तैयारी कर रहा है प्रशासन
मास्क के पीछे न पड़ें, रुमाल का करें उपयोग
14 दिन तक जिन पर नजर रखी जा रही है उनके बारे में अफवाह न फैलाएं
उदयपुर 19 मार्च 2020। कोरोना वायरस से जितना आम आदमी चिंतित है, उससे कहीं ज्यादा प्रशासन सतर्क है। प्रशासन दो कदम आगे की परिस्थितियों के मद्देनजर सोच कर चल रहा है। इतना ही नहीं, उदयपुर के प्रशासन और चिकित्सा विभाग को यह भी भान है कि संभाग में कहीं भी मामला आता है तो उसे उदयपुर ही रेफर किया जाएगा, इसके लिए भी उदयपुर में ही व्यापक स्तर पर व्यवस्था करनी होगी।
यह बात उदयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. दिनेश खराड़ी ने गुरुवार को जर्नलिस्टस एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) के प्रतिनिधिमण्डल से विशेष वार्ता में कही। ‘कोरोना वायरस से बचाव में पत्रकारों की भूमिका’ विषय पर हुई इस वार्ता में सीएमएचओ ने कहा कि सबसे पहले वे जनता से यह अपील करना चाहते हैं कि जिसे खांसी है उसे मास्क या रुमाल जरूर इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन मास्क के पीछे न पड़ें, अपने रुमाल को ही मास्क के रूप में काम में लें। घर से निकलते वक्त रुमाल चेहरे पर बांध कर निकलें और घर पहुंचते ही रुमाल को साबुन से धो लें। सेनिटाइजर नहीं होने पर साबुन से हाथ धो लें। उन्होंने बच्चों को भी कहा है कि ये छुट्टियां खेलने-कूदने के लिए नहीं हैं, घर में रहने के लिए हुई हैं। माता-पिता को भी बच्चों को यह बात समझानी होगी। बाहर होने पर अपने हाथ बार-बार चेहरे पर न लगाएं।
जार उदयपुर के जिलाध्यक्ष नानालाल आचार्य ने बताया कि सीएमएचओ ने अफवाहों को रोकने में पत्रकार साथियों से मदद की अपील की। सीएमएचओ ने कहा कि अब तक उदयपुर में सभी जांचों की रिपोर्ट नेगेटिव है। एक कुवैत से आए व्यक्ति की रिपोर्ट आनी बाकी है। सोशल मीडिया पर फैल रही गलत जानकारी से भी प्रशासन को लडऩा पड़ रहा है और इसमें पत्रकारों का सहयोग अहम हो सकता है। वे प्रशासन से सोशल मीडिया पर फैल रही जानकारी की पुष्टि कर सोशल मीडिया पर सही जवाब भेज सकते हैं, क्योंकि पत्रकार लोगों से ज्यादा जुड़ाव रखते हैं।
चर्चा में सीएमएचओ ने कहा कि प्रशासन जिसे आइसोलेशन में रख रहा है, उसे शक की निगाह से देखने की जरूरत नहीं है। दरअसल, यह वायरस 2 से 14 दिन में कभी भी अपने लक्षण दिखा सकता है, ऐेसे में जो व्यक्ति विदेश से, या महाराष्ट्र सहित ऐसे क्षेत्र से जहां इस वायरस के पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं, वहां से आ रहा है तो उसकी स्क्रीनिंग जरूरी है और कम से कम 14 दिन तक उसे आइसोलेशन में रखने के बाद जांच जरूरी है। उन्हें अस्पताल के बजाय घर में भी चिकित्सकीय दिशा-निर्देशों की पालना के साथ रखा जा सकता है, उनके घूमने-फिरने पर पाबंदी रहेगी। इस अवधि के बाद जरूरी नहीं कि उसे संक्रमण पॉजिटिव आए ही, लेकिन यदि उन्हें आइसोलेशन में नहीं रखा गया और वायरस उनमें पॉजिटिव रहा तो इस अवधि में सम्पर्क में आने वाले लोगों में भी वायरस फैलने की आशंका होती है, इसलिए सावधानी जरूरी है। जो ऐसे क्षेत्रों से आ रहे हैं, लगभग सभी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए चिकित्सालय पहुंचकर जांच करवा रहे हैं और जरूरी निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
अब प्रशासन ने अगली तैयारी के तहत गांव-गांव तक उन लोगों की फेहरिस्त बनानी शुरू कर दी है जिसके पास पासपोर्ट है। जो लोग गत दो माह के भीतर विदेश से लौटे हैं, उनका पता लगाकर उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि आइसोलेशन में रखे जाने वाले विदेशी पर्यटक बात नहीं मानते हैं तो उनके पीछे एक-एक जवान भी तैनात किए जाने के लिए प्रशासन तैयार है।
अब प्रशासन ने आइसोलेशन में रखने के लिए होम क्वारेंटाइन की तैयारी शुरू कर दी है। फिलहाल 500 ऐसे स्थान ढूंढ़े जा रहे हैं जहां एक बैड हो और खाने-पीने की व्यवस्था हो सके। जरूरत लगने पर यह संख्या बढ़ाई भी जा सकती है।
सीएमएचओ खराड़ी ने अस्थमा, 60 साल से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक, हायपरटेंशन, ब्लड कैंसर, डायबिटीज के मरीजों को विशेष ध्यान रखने के लिए कहा है। वे इसकी चपेट में तुरंत आ सकते हैं। ऐसे में वे या तो घर में रहें, जरूरी होने पर ही बाहर निकलें, या मुंह पर रुमाल बांधकर रखें, हाथ नियमित अंतराल पर धोते रहें।
इस मौके पर जार के जिला महासचिव भरत मिश्रा, कोषाध्यक्ष गोपाल लोहार, प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा, प्रदेश सचिव कौशल मूंदड़ा, सदस्य दिनेश भट्ट, हेमंत सिंह राजपूत, नरेन्द्र कहार, दिनेश हाड़ा, ऋषभ जैन, हरीश लोहार, जयवंत भैरविया आदि उपस्थित थे।
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