शायर व गीतकार की जुगलबन्दी ने अल्फाज व अवाज को दी एक पहिचान
सृजन द स्पार्क संस्था की ओर से डीपीएस स्कूल के सहयोग से विद्यालय परिसर के अम्पी थियेटर में गज़ल संध्या अल्फाज़ व आवाज नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें ख्यातनाम गज़ल लेखक पेशे से झारखण्ड़ के जीएसटी के चीफ कम
सृजन द स्पार्क संस्था की ओर से डीपीएस स्कूल के सहयोग से विद्यालय परिसर के अम्पी थियेटर में गज़ल संध्या अल्फाज़ व आवाज नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें ख्यातनाम गज़ल लेखक पेशे से झारखण्ड़ के जीएसटी के चीफ कमिश्नर अजय पाण्डे ’शहाब’ ने वहीं के एसोसिएट कमिश्नर गज़ल लेखक राजेश सिंह की लिखी गज़लों, गीतों एवं सुफियाना भजन को अपनी आवाज देकर ऐसा समां बांध की सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये।
अजय पाण्डे ’शहाब’ ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत गज़ल ’शाम एक भीगी परी सी..’,’अब वो आंखेां की शरारत नहीं होने वाली…’, ’तन्हाईयों में अश्क बहाने से क्या मिला…’, गीत ’मैं पल दो पल दो पल का शायर हूं…’,सुफियाना भजन मनवा के बोल ’मनवा तू काहे बैचेन रहे…’ के अलावा पुरानी फिल्मों के गीतों को नये अंतरे में पेश कर सभी को आनन्दित कर दिया।
अजय शहाब का कहना था कि वे संगीत और अपने प्रोफेशन दोनों में तालमेल बिठा कर चलते है। उन्होेंने 13 वर्ष की उम्र से ही गज़ले लिखनी शुरू की और उनकी लिखी गज़लों को पंकज उधास, हरिहरन, अनुराधा पौडवाल, अनूप जलोटा आदि ने अपना स्वर दे कर इसे अमर बना दिया। उस समय उनकी गज़लों जनता एवं गायकों की ओर से हौसला आफजाई मिली तो उन्हें इस संगीत की दुनिया में आगे बढ़ने का मौका मिला।
उन्होंने बताया कि अल्फाज़ व आवाज एक कन्सेप्ट है। साहिर लुधियानवी की गज़लों को भी अपने कार्यक्रम में शामिल करते है क्योंकि उनकी लिखी गज़लें जीवन जीने का मकसद देती है। उसके पीछे सामाजिक संदेश छिपा होता है। कार्यक्रम का प्रारम्भ महेश आमेटा ने गणपति वंदना से की।
प्रारम्भ में संस्था के पूर्व अध्यक्ष श्याम एस. सिंघवी ने अतिथियों का स्वागत किया। संस्था का परिचय सचिव अब्बास अली बन्दुकवाला ने दिया। समारोह में डीपीएस के वाइस चेयरमेन गोविन्द अग्रवाल, संस्था के संरक्षक आईपीएस प्रसन्न कुमार खमसेरा, डिप्टी कमिश्नर अशोक सिंह जीएसटी, उस्मानिया वि.वि. के उर्दु विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.सलमान आबिद, अहमदाबाद से आये ब्रजमोहन सूद, टाटा प्रोजेक्ट के डी.के.शर्मा, डाॅ.दर्शन शाह, अहमदाबाद के डाॅ. नवीन पटेल सहित अनेक अतिथि मौजूद थे। कार्यक्रम में ओम कुमावत तबले पर, जितेश सोलंकी ओक्टापेड, गिरिराज गन्धर्व वाॅयलिन, मुकेश तातिया ढोलक पर संगत की। समारोह में अतिथियों का उपरना ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रजेश सेठ ने किया।
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