क़दमताल – बेहतर सामंजस्य स्थापित हो
वर्तमान समय को तकनीकी दौर के नाम से जाना जाता है । आज के समय नयी पीढ़ी बेहद रफ़्तार के साथ आगे बढ़ रही है वहीं पुरानी पीढ़ी अपने अंदाज में जीना पसंद करती है ! नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच अभी भी बेहद असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं
वर्तमान समय को तकनीकी दौर के नाम से जाना जाता है । आज के समय नयी पीढ़ी बेहद रफ़्तार के साथ आगे बढ़ रही है वहीं पुरानी पीढ़ी अपने अंदाज में जीना पसंद करती है ! नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच अभी भी बेहद असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं । कारण तो ख़ूब सारे हैं लेकिन आधुनिकता के चकाचौंध में जी रही नई पीढ़ी अपने से उम्रदराज लोगों को वह सम्मान नहीं दे पा रही है जिसकी पुरानी पीढ़ी सचमुच में हकदार हैं ! पुरानी पीढ़ी अपने ही विचारों और सिद्धांतों से समझौता करना पसंद नहीं करती वही दूसरी तरफ़ युवमन अपने ही हाल में स्वतंत्र जीने की चाहत रखते हैं ! वर्तमान दौर में यह बेहद आवश्यक है कि दोनों के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित हो जिससे एक सकारात्मक शुरुआत होगी, दोनों के आपसी मिलन की , अपने -अपने विचारों के बीच अच्छा तालमेल बैठाने की ! समय की मांग तो कहती है हम दोनों पीढ़ी एक साथ क़दमताल करते हुए, भावनाओं की क़दर करते हुए जीवन में खुशियों का संचार करती रहे ! जब दो पीढ़ियां साथ -साथ चलने लगेगी तो बहुत -सी पारिवारिक उलझनें भी स्वत: ही सुलझने लगेगी । आपसी मेल – मिलाप से या कहे इन पीढ़ियों के बीच एक -दूसरे की दिक्कतों को भांपने की समझ बढ़ने से अकल्पनीय बदलाव हमें देखने को मिलेगा । दोनों पीढ़ी कई मामलों में तो एक-दूजे के विपरीत दृष्टिकोण रखती हैं इसका भी समाधान बेहतर सामंजस्य रखने से ही हो पायेगा ! नई पीढ़ी के मन में कई बार ये डर बना रहता है कि अपने से उम्रदराज लोगों को कैसे अपनी उलझन बताये ?
पुरानी पीढ़ी भी नई पीढ़ी की समस्याओं को समझने , सुलझाने से बड़ी कतराती है क्योंकि उनके मन में सम्मान खो देने का भय बना रहता है । कोशिश अब दोनों को मिलकर करनी होगी कि अनदेखें इस डर को दूर करके बदलाव की ओर अपने क़दम आगे बढाने चाहिए ! कई दफा तो शर्म के मारे भी हम दोनों पीढ़ियां एक -दूसरे के बीच संवाद स्थापित नहीं कर पाती है नतीजतन हम नुकसान झेलने पर मजबूर हो जाते हैं ।
बस इसी शर्म को छोड़कर कर आपसी सम्मान को बनाए रखते हुए अपने-अपने अनुभव और सपने आपस में शेयर करें ! दोनों पीढ़ियों को आपस में खुशियों की परवाह करते हुए एक साथ क़दमताल करते रहना हैं !
Reader Contribution: रक्षित परमार , उदयपुर
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