पैर, हाथ, चेहरे का संयोजन दिखा कथक नृत्य में


पैर, हाथ, चेहरे का संयोजन दिखा कथक नृत्य में
 

तीन दिवसीय शरद महोत्सव सम्पन्न
 
 
पैर, हाथ, चेहरे का संयोजन दिखा कथक नृत्य में
ऐ री सखी कैसें बतलाउं ये प्रीत है क्या....

उदयपुर। महाराणा कुंभा संगीत परिषद एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में सरदारपुरा स्थित कुंभा भवन में चले तीन दिवसीय शरद महोत्सव के तीसरे व अंतिम दिन कथक नृत्य तीन प्रस्तुतियां हुई। तीसरे दिन दिल्ली से आयी प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना माया कुलेश्रष्ठ, नृत्य डांस एकेडमी एवं कृष्णम कथक केन्द्र की छात्राओं द्वारा कथक की प्रस्तुति दे कर सभी कला प्रमियों को कथक के प्रति नतमस्तक कर दिया।  

दिल्ली से आयी माया कुलश्रेष्ठ ने पं. बिरजू महाराज की रचना अद्र्धांग को उन्होंने अपने कथक नृत्य में यह बतानें का प्रयास किया कि चाहे भले ही वर्तमान में महिला-पुरूष को समान की बात की जाती हो लेकिन कथक मे। अर्द्ध नारीश्वार के रूप को दर्शाया। उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति में ओम नमः शिवाय से शुरूआत कर ‘इत भर शोभित चन्द्रमा...‘ बोल में आकर्षक नृत्य कर सभी को उसी में रमा दिया।  

अपनी दूसरी प्रस्तुति में खुद की लिखी रचना प्रीत की रीत के बोल ‘ए री सखी कैसे बतलाउं...‘ को उस रूप में पेश किया जब राधा मींरा को कहती है कि कृष्ण को पाना बहुत कठिन है। मींरा,राधा,कष्णा पर कथक में काफी कार्य हुआ है, लेकिन मींरा को भजन व भक्ति के रूप में ही दिखाया गया। उस भक्ति में प्रेम को स्थान दिया गया। जब मींरा को सोचा तो उस कल्पना में साधना का रूप,उसका समर्पण, जिसे सिर्फ समझा ही जा सकता है। इस नृत्य में मींरा व राधा के बीच हुए वार्तालाप को भी दिखाने का प्रयास किया गया।  

माया कुलश्रेष्ठ ने अपनी तीसरी प्रस्तुति में प्रसिद्ध गज़ल आज जाने की जिद न करों...को कथक के रूप में सुन्दर तरीके से पेश किया। यह गज़ल पाकिस्तान के लेखक फैय्याज हाशमी द्वारा लिखी गयी।

इससे पूर्व नृत्यक डांस एकेडमी की निदेशक सोनल गर्ग की शिष्या गर्विता लावटी ने अपने कथक नत्य में धमार ताल 14 मात्रा में तोड़े, वकरदार परन, कवति आदि पेश कर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। प्रारम्भ में कृष्णम डांस कथक केन्द्र की छात्राओं ने कथक की सामूहिक प्रस्तुति दे कर हाथ, पैर, चेहरे के बीच लय एवं ताल की सुन्दर संयोजन की दृश्य पेश कर कथक को जीवंत कर उपस्थित कलाप्रमियों की तालियों की दाद पायी।  

परिषद के सचिव डाॅ. यशवन्त कोठारी ने सभी का स्वागत करते हुए महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा आयोजित किये जा रहे कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम में डाॅ. प्रेम भण्डारी, मानिक आर्य, सहित अनेक पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. लोकेश जैन व दीपश्री ने किया। अंत में डाॅ. प्रेम भण्डारी ने आभार ज्ञापित किया।

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