पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति एवं वासुपूज्य दिगम्बर जैन धर्मार्थ एवं सेवार्थ संस्थान द्वारा मुनि अमितसागर महाराज,आर्यिका 105 सुभूषणमति माताजी एवं प्रश्ंतमति माताजी के पावन सानिध्य में संतोषनगर गायरिवास स्थित श्री मज्ज्निेन्द्र 1008 वासुपूज्य भगवान का 6 दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय कवि एवं सूत्रधार राव अजात शत्रु ने कवि सम्मेलन की शुरूआत कुन्नूर हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सीडीएस बिपिन रावत की असामयिक मृत्यु पर ‘सेना के सिरमोर शेर दिल का ऐसे यूँ मर जाना,करते हैं सेल्यूट बिपिन सर, अर्जी है मत ठुकराना, हाथ जोड़कर विनती करते है भारत के लाल सुनो, इस धरती इस पुण्य धरा पर पुनः लौट कर तुम आना...‘ जब यह पंक्तियां सुनाई तो पूरा पाण्डाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया। उन्होंने अपनी दूसरी कविता ‘ऋषि मुनियों का देवालय हूँ, मैं संस्कृति का विद्यालय हूँ, हरी की पेढ़ी से गागर तक, गोमुख से गंगा सागर तक, मैं उद्धारक मानवता की, निर्मलता की पावनता की,सबकी झोली भर देती हूं...सुनायी तो सभी ने तालियों के साथ सुन्दर कविता का अभिवादन किया।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से आयी नीर गोरखपुरी ने कविता पाठ करते हुए अपनी रचना ‘मुझ पर सुनो सदा मुसीबतों की ही घटा छाई है, ससुराल वालों ने हर बात मुझे झूठ ही बताई है, मेरे जैसी बीवी जरा खोजकर लाओ तो जानूं, वो तो बीए भी साइंस साइड से करके आई है...‘ सुनायी तो सभी ने जोर से हंसी के ठहाके लगायें। इसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी रचना ‘राहों में देखा उसे गाड़ी चलाते, वो ख़्वाबों में आने लगी साड़ी सुखाते, मेरे इश्क़ की उम्मीदों की धज्जियां उड़ गई साहब, जिस दिन से देखा है उसे दाढ़ी बनाते....‘ अपनी अन्य रचना ‘हंसाने के सदा ही तुम तरीके लेते हो,बताकर साग को फिर तुम उठा क्यों घास लेते हो सुनायी तो श्रोताओं ने तालियां के साथ वन्स मोर,वन्स मोर कहा।
नैनीताल से आयी कवयित्री गौरी मिश्रा ने ‘बीमारे इश्क में दिल की दवा के साथ आई हूं,मैं नैनीताल की ताज़ी हवा के साथ आई हूं...‘ को जनता ने तालियां के साथ अपनी सहमति प्रदान की।
हास्य कवि दिनेश देसी घी ने ‘बात रही नही संस्कारों की,न आदर्श भरे नारों की,हम ही पेड़ बंबूल के बो रहे,फिर खता क्या बहारों की..‘ सुनाकर संस्कारों पर जोरदार कटाक्ष किया।
कवि संजय झाला ने अपनी रचना ‘भाई की हंसी ताक़त सवाई है,बहन की हंसी मजबूत कलाई है, पिता की हंसी बेटे की कमाई है, माँ की हंसी प्रभु की प्रभुताई है, बच्चों की हंसी पीर की भुलाई है, बेटी की हंसी बाप की दवाई है, प्रेमिका की हंसी हवा हवाई है, लुगाई की हंसी जेब की सफाई है..‘ कविता पर जनता तालियां बजानें व अपने आपको हंसने से नहीं रोक पायी। मेवाड़ के हास्य कवि कानू पण्डित ने अपनी रचनाओं से सभी श्रोताओं को गुदगुदाया। कवि सम्मेलन के सफल संचालक राव अजातशत्रु ने अंत तक श्रोताओं को अपनी चुटीली टिप्पणियों और कटाक्ष करके बांधे रखा।
प्रारम्भ में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति एवं श्री वासुपूज्य दिगम्बर जैन धर्मार्थ एवं सेवार्थ संस्थान के अध्यक्ष पूरणमल चिबोड़िया, महामंत्री प्रकाश सिंघवी, देवचंद सियावत, खूबचंद सिंघवी, हीरालाल दोशी, भगवतीलाल मिण्डा, चन्द्रसेन, छगनलाल मलावत, गणेशलाल धनावत, गौरवाध्यक्ष मनोहरलाल धनावत, कार्याध्यक्ष मुकेश गोटी, मंत्री कालूलाल गुड़लिया, ललित कुणावत, कोषाध्यक्ष मांगीलाल रूपजियोत ने सभी कवियों का उपरना, शॉल व स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
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