जोश के साथ होश भी रखें युवा: आचार्यश्री सुनीलसागरजी
आचार्यश्री ने कहा कि आज के युवा बहुत जल्दी मार्ग से भटक जाते हैं। उनकी शक्ति का आज कल उपयोग कम दुरूयोग ज्यादा होता है कभी धर्म के नाम पर तो कभी मजहब के नाम पर उन्हें बरगलाकर उनसे उपद्रव तक करवा दिये जाते हैं। जब युवा अपने उत्थान के समय में ही इन उपद्रवों में उलझ जाएगा तो अपाना उत्थान और विकास कब करेगा। युवा जब परिवार की धुरी है तो घर में माता- पिता, भाई- बहन, पत्नी, बच्चे किसके भरोसे जीवन यापन करेंगे और कैसे करेंगे। युवावस्था का मतलब बर्बाद हो जाना नहीं है, डूब जाना नहीं है।
डूबते हैं तो सागर को दोष देते हैं, मन्जिल नहीं मिलती तो मुकद्दर को दोष देते हैं, चलते तो खुद सम्भल कर नहीं, जब ठोकर लगती है तो पत्थर को दोष देते हैं। युवा देश का भविष्य होता है। युवा शक्ति सबसे बड़ी शक्ति होती है। युवावस्था में ही जीवन का उत्थान किया जा सकता है, उपलब्धियां हासिल की जाती है। युवावस्था जीवन बनाने का समय है, न कि जीवन बिगाडऩे का। युवा तो परिवार की धुरी होता है। भगवान श्रीराम ने युवावस्था में ही अपने पिता के वचनों को निभाया, जीवन भर मर्यादाओं का पालन किया और युवावस्था में ही दशानन का संहार किया और दुनिया को मर्यादा का पाठ पढ़ाया। भगवान श्रीकृष्ण ने भी युवावस्था में ही कंश के कुशासन से आजादी दिलवाई और दुनिया को प्रेम का पाठ पढ़ाया।
भगवान महावीर स्वामी ने भी युवावस्था में ही त्याग- तपस्या को अपना कर दुनिया को मुक्ति का मार्ग दिखाया। आज के युवाओं ऐसे भगवान महापुरूषों से प्रेरणा लेने की जरूरत है। भारत की संस्कृति जैसी दुनिया में कहीं नहीं है। लेकिन युवा पाश्चात्य संस्कृति और उसी के अनुरूप खान-पान अपना कर अपना जीवन और सेहत दोनों खराब कर रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिये। युवा तो परिवार की धुरी है। जब वो ही आप से बाहर होंगे तो परिवार कैसे सम्भालेंगे। उक्त विचार आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज ने आरएमवी स्कूल के ग्राउण्ड में बने पाण्डाल में आयोजित धर्मसभा में युवा परिवार की धुरी विषय पर प्रवचन देते हुए व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि युवावस्था जोश की अवस्था है लेकिन जोश के साथ होश भी रखना जरूरी है क्योंकि ज्यादा जोश कभी- कभी स्वयं की बर्बादी का कारण भी बन जाता है और जोश के साथ अगर होश भी हो तो वह युवाओं के उत्थान का कारक भी बन जाता है। इसलिए युवावस्था में जोश के साथ होश भी रखना जरूरी है। माता- पिता का आदर सम्मान करने की प्रवृत्ति तो आज कल कई युवाओं में खत्म होती जा रही है। बुढ़ापे में माता- पिता कुछ कहते हैं तो उन्हें एक ही जवाब मिलता है, आप तो चुपचाप ही रहो, समझते तो कुछ हो नहीं। आपने मेरे लिए जीवन में किया ही क्या है। अच्छे स्कूल में पढ़ाते, मेरे लिए कोई अच्छा बिजनेस लगवाते, मेरे लिए अच्छी सी कार खरीद कर देते तो मेरा भी आज रूतबा होता। जीवन में आपने किया ही क्या है। आज दो पैसे में भी नहीं है आपके पास। नहीं ऐसा कभी नहीं बोलना चाहिये अपने माता- पिता को। अरे उन्होंने तुम्हें जन्म दिया, पाल-पोष कर इतना बड़ा कर दिया यह क्या कोई कम बात है। आज तुम दुनिया में हो, किसकी वजह से मां-बाप की वजह से। आज युवावस्था में भले ही आपके कितने ही दोस्त हों, रिश्ते हों लेकिन कोई भी रिश्ता में दुनिया में मां- बाप से बड़ा और पूजनीय नहीं हो सकता। आपका दुनिया का हर रिश्ता मां- बाप के रिश्ते से 9 माह छोटा ही होता है। इसलिए माता- पिता का आदर करो, उनका सम्मान करो, उनकी सेवा करो , मर्यादाओं का पालन करते हुए प्रेम और स्नेह से रहो क्योंकि युवा ही परिवार की धुरी होते हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि आज के युवा बहुत जल्दी मार्ग से भटक जाते हैं। उनकी शक्ति का आज कल उपयोग कम दुरूयोग ज्यादा होता है कभी धर्म के नाम पर तो कभी मजहब के नाम पर उन्हें बरगलाकर उनसे उपद्रव तक करवा दिये जाते हैं। जब युवा अपने उत्थान के समय में ही इन उपद्रवों में उलझ जाएगा तो अपाना उत्थान और विकास कब करेगा। युवा जब परिवार की धुरी है तो घर में माता- पिता, भाई- बहन, पत्नी, बच्चे किसके भरोसे जीवन यापन करेंगे और कैसे करेंगे। युवावस्था का मतलब बर्बाद हो जाना नहीं है, डूब जाना नहीं है।
आचार्यश्री ने कहा कि युवावस्था सिर्फ मौज-शोक और विषय वासना में लिप्त रहने के लिए नहीं है। आज कुछ स्वार्थी लोग कई होनहार युवाओं को भी फैशन और व्यसन में उलझा कर उनका जीवन बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। जीवन एक लिफाफे की तरह होता है। लिफाफा जब तक खुला है तब तक वह लिफाफा है। उसमें लिखा हुआ कागज रखने के बाद उसे तीन बार मोड़ कर गोन्द से चिपका कर सीधा पोस्ट ही करते हैं फिर उसे अपने पास नहीं रखते हैं। फिर उसे खोलता वही है जिसका पता उस पर लिखा होता है। उसी तरह से जीवन के भी तीन मोड़ है, पहला बचपन, दूसरा युवावस्था और तीसरा बुढ़ापा। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ आता है सुवावस्था का। यही जीवन की दशा और दिशा करता है। यह अवस्था जीवन का उत्थान करने की होती है।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal