किडनी रोगी की नसों को एंजियोप्लास्टी से ही खोल दिया, नही पड़ी बायपास की जरूरत


किडनी रोगी की नसों को एंजियोप्लास्टी से ही खोल दिया, नही पड़ी बायपास की जरूरत

गीतांजली हॉस्पिटल के नेफ्रोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जी.के.मुखिया द्वारा 60 वर्षीय महिला के हृदय तक रक्तसंचार करने वाली शिराओं की रूकावट का ऑपरेशन कर रक्तसंचार को सामान्य किया और अब वे स्वस्थ है।

 

किडनी रोगी की नसों को एंजियोप्लास्टी से ही खोल दिया, नही पड़ी बायपास की जरूरत

गीतांजली हॉस्पिटल के नेफ्रोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जी.के.मुखिया द्वारा 60 वर्षीय महिला के हृदय तक रक्तसंचार करने वाली शिराओं की रूकावट का ऑपरेशन कर रक्तसंचार को सामान्य किया और अब वे स्वस्थ है।

राजस्थान में किडनी फेल्यर रोगियों की मुख्य शिराओं का एंजियोप्लास्टी द्वारा उपचार का यह प्रथम सफल मामला है, जहां बगैर बायपास सर्जरी के उपचार संभव हो पाया है।

डॉ मुखिया ने बताया कि नीमच निवासी 60 वर्षीय पुष्पा नागदा पिछले डेढ़ महीनों से डायलिसिस फिस्टूला वाले हाँथ में बढ़ती सूजन और इसके दर्द से परेशान को लेकर गीतांजली हॉस्पिटल आईं। वे किडनी फेल्यर की मरीज है, जिनका हिमोडायलिसिस पिछले एक वर्ष से चल रहा था। शुरूआत में हिमोडायलिसिस कराने के लिए रोगी को डायलिसिस कैथेटर (कृत्रिम माध्यम जो डायलिसिस के दौरान रक्त को खींचने और वापस भेजने के काम आता है) की जरूरत पड़ी, लेकिन जब कुछ महीनों बाद उनका फिस्टूला तैयार हो गया, तब फिस्टूला द्वारा डायलिसिस किया जाने लगा।

फिर पिछले डेढ़ महीने से बढ़ती इस सूजन के कारण एंजियोग्राफी की तो पता चला कि उनकी छाती की नसों में सिकुड़ापन है जिसके कारण रक्तसंचार सही से नही हो पा रहा था। इसलिए उनकी बलून प्रक्रिया द्वारा एंजियोप्लास्टी की जिससे रक्तसंचार भी सही हुआ और हाँथ की सूजन व दर्द में भी सुधार है।

डायलिसिस फिस्टूला क्या होता है?

शरीर का ऐसा स्वाभाविक माध्यम जिसमें नसों और धमनियों के बीच सर्जरी द्वारा संपर्क बनाया जाता है, ताकि डायलिसिस के दौरान रक्त खींचने व मशीन द्वारा रक्त वापस पहँुचने में मददगार हो। डायलिसिस फिस्टूला ज्यादा कारगर माध्यम इसलिए है क्योंकि यह लंबी अवधि तक काम करता है और इसमें जटिलताएं भी कम रहती है।

लेकिन कुछ मरीजों में इसकी परेशानियां सामने आती है जैसे फिस्टूला वाले हाँथ में सूजन, रक्तप्रवाह जरूरत से कम मिलना, सुई निकालने के बावजूद रक्त प्रवाह न रूकना, मुख्य शिराओं या धमनियों में सिकुडापन और चूंकि इस मरीज की मुख्य शिराओं में सिकुडन के कारण डायलिसिस फिस्टूला वाले हाँथ में सूजन आने लगी, तब इसका उपचार एंजियोप्लास्टी द्वारा किया गया। जो कि सामान्यतः बायपास द्वारा ही संभव हो पाता है।

बायपास की तुलना में किडनी फेल्यर के मरीजों में एंजियोप्लास्टी द्वारा मुख्य नसों के सिकुडेपन के उपचार के फायदे ?

एंजियोप्लास्टी द्वारा उपचार में लागत कम लगती है, भर्ती कम रहना पड़ता है और ऑपरेशन का खतरा भी नही होता।

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