बलून बेचने वाले गरीब बच्चो संग पतंगबाज़ी और सितोलिया
मकर सक्रांति के अवसर पर जहाँ सभी स्कूलों से लेकर बड़ो में और बच्चो में पतंगबाज़ी और सितोलिया की धूम मची हुई थी। वहीँ पर एक एनजीओ इम्पिटस ने उदयपुर के सुखाड़िया सर्किल के आस पास बलून आदि बेचकर खुद के और अपने परिवार का पेट भरने वाले बच्चो के साथ पतंगबाज़ी और सितोलिया जैसे खेल खेलकर न केवल उन्हें अपार खुशिया दी बल्कि उन्हें खेल कूद के लिए प्रोत्साहित करके सराहनीय पहल की।
मकर सक्रांति के अवसर पर जहाँ सभी स्कूलों से लेकर बड़ो में और बच्चो में पतंगबाज़ी और सितोलिया की धूम मची हुई थी। वहीँ पर एक एनजीओ इम्पिटस ने उदयपुर के सुखाड़िया सर्किल के आस पास बलून आदि बेचकर खुद के और अपने परिवार का पेट भरने वाले बच्चो के साथ पतंगबाज़ी और सितोलिया जैसे खेल खेलकर न केवल उन्हें अपार खुशिया दी बल्कि उन्हें खेल कूद के लिए प्रोत्साहित करके सराहनीय पहल की।
इम्पिटस संस्था इन गरीब और वंचित तबके के बच्चो को रोज़ाना सोमवार से शनिवार हर शाम सात से साढ़े सात बजे तक पढ़ाने लिखाने का कार्य भी अंजाम देती है। जिनमे संस्था के सभी सदस्य साथ देते है, चूँकि पढ़ाई लिखाई के साथ खेल कूद और हलक फुल्का मनोरंजन भी जीएवं में आवश्यक है इसी के तहत संस्था ने मकर संक्रांति के अवसर पर यह अनूठी पहल की। इस अवसर पर संस्था के सदस्यों के साथ बच्चो ने भी बहुत ही उत्साह पूर्वक भाग लिया यही नहीं रंग बिरंगी पतंगे भी बच्चो ने ही अपने हाथो से बनाई। कार्यक्रम के अंत में बच्चो को पेस्ट्री, पेटिस , फ्रूटी आदि भी वितरित की गई।
इम्पिटस के संस्थापक मंजू लक्ष्मी कहती है की इस प्रकार के कार्यक्रमों से वह इन बच्चो को जोड़े रखना चाहती है ताकि वह रोज़ शाम को लगने वाली क्लासेज में आने के लिए प्रेरित हो सके। मंजू ने बताया की वह अपनी संस्था के अन्य साथियो के सुखाड़िया सर्किल पर लगभग दो महीने से इन बच्चो को शिक्षा दे रही है जिसके फलस्वरूप छह बच्चो को वह नियमित स्कूल में भेजने में कामयाब रहे जो की उनकी संस्था के लिए उपलब्धि का पहला कदम है।
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