13वे पद्मश्री देवीलाल सामर नाट्य समारोह का शुभारंभ ‘‘निठल्ले की डायरी’’ का मंचन
भारतीय लोक कला मण्डल के 66वें स्थापना दिवस पर लोक कला मण्डल व दी परफॉरमर्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नाट्य समारोह का शुभारंभ हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित एवं अरूण पाण्डे द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘निठल्ले की डायरी’’ की प्रस्तुति से हुआ । ‘‘निठल्ले की डायरी’’ के जरिये ‘‘विवेचना रंगमण्डल’
भारतीय लोक कला मण्डल के संस्थापक पद्मश्री देवीलाल सामर की स्मृति में छः दिवसीय नाट्य समारोह का दी परफोरमर्स संस्था के संयुक्त तत्वावधान में शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था के सहायक निदेशक, गोवर्धन समार व मानद सचिव, रियाज तहसीन, अतिथि वरिष्ट रंगकर्मी एवं चित्रकार डॉ. शैल चोयल व डॉ लईक हुसैन ने संस्थापक पद्मश्री देवीलालजी सामर सा. की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। संस्था के सहायक निदेशक गोवर्धन सामर एवं मानद सचिव रियाज तहसीन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल के 66वें स्थापना दिवस पर लोक कला मण्डल व दी परफॉरमर्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नाट्य समारोह का शुभारंभ हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित एवं अरूण पाण्डे द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘निठल्ले की डायरी’’ की प्रस्तुति से हुआ । ‘‘निठल्ले की डायरी’’ के जरिये ‘‘विवेचना रंगमण्डल’’ ने परसाई जी के लेखन को मंच पर एक समग्रता के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
कक्का का पात्र परसाई जी का मोहक व मुखर वक्ता बना गया है। इसका स्त्रोत परसाई जी के जीवन संस्मरणो में भी है, लेकिन अन्दर एक सृजित मौलिकता के दर्शन भी होते है।‘‘निठल्ले की डायरी’’ मे एक वृहत दुनिया के वह द्वार खुलते है जिसकी धुल झाडने व जिनकी तरफ देखने की जरूरत नही समझी जाती। कक्का परिवर्तनो की धमाचौकडी में अभी-अभी हमारे बीच से खोया आदमी है, जिसकी परछाई हमे बैचेन करती।‘‘निठल्ले की डायरी’’ के जरिये परसाई जी की रचनाओ मे आये ऐसे समाज की झॉकी दर्शको के सामने आती है जो बेहद साधारण है। कभी-कभी इतनी साधारण कि मन उचाट हो जाये। कक्का के सामने है एक दूसरा पात्र हालात से परेशान लेकिन बेफिक्र युवक निठल्ला।
परसाई के व्यंगय को नाटक में, मंच पर अभिनय और संवादो से उतने ही पैनपन से प्रस्तुत करना बहुत जटिल कार्य है। जोखिम भरा भी है। विवेचना रंगमंडल के कलाकारो ने एक सार्थक कोशिश की है।
नाटक में मंच पर भुमिकाओं में कक्का- नवीन चौबे, निठल्ला- मनोज राजपुत, स्वामीजी, शिवशंकर बाबू-गजनिश वेदया, गणेश, पतरा, डॉक्टर, देवदूत – मनीष तिवारी, सूत्रधार, गणेश, डॉक्टर – विवेक पड्ंया, गणेश, पतरा, सक्सैनाजी, लठेत – राजेश वर्मा, गणेश, पडौसी, पतरा – अभिनव वर्मा, साहब, गणेश, पडौसी – शुभम पाठक, पप्पु, लडका, शौहदा – मेहुल यादव, रामभरोसे, कोरस – यश शर्मा, गणेश, पतरा- सूरज शुक्ला, पडोसी, कोरस- मयंक रावत, पडोसी, कोरस- अभिनव तिवारी, पडोसी, कोरस- गौरव सैनी, चेली, नर्स – ईशानी मिशा, बाबुएन, मोसी- मनुश्री मिश्रा थे ।
समारोह के दूसरे दिन 26 फरवरी को नाटक ‘ बडे भाईसाहब’ प्रसिद्व लेखक मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एवं श्रीमती वीणा शर्मा द्वारा निर्देशित-रंग विसारत थियेटर क्लब-नई दिल्ली द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal